दिल्ली (Delhi) में वर्ष के अंत तक अपशिष्ट जल (Wastewater) शोधन की लगभग 95 प्रतिशत क्षमता हासिल की जाएगी, जिससे यमुना नदी (Yamuna River) में प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी. दिल्ली जल बोर्ड ने यह अनुमान जताया है. दिल्ली में 20 स्थानों पर संचालित 34 अवजल शोधन संयंत्र (एसटीपी) 597 एमजीडी तक अवजल शोधन कर सकते हैं और फिलहाल इनकी क्षमता का लगभग 90 प्रतिशत (514 एमजीडी) उपयोग किया जा रहा है. अनधिकृत कॉलोनियों और झुग्गी-झोपड़ी समूहों से अप्रयुक्त अपशिष्ट जल, और डब्ल्यूडब्ल्यूटीपी से निकलने वाले शोधित अपशिष्ट जल की खराब गुणवत्ता नदी में प्रदूषण के उच्च स्तर का मुख्य कारण है.
केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय को सौंपी गई एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली जल बोर्ड ने दिसंबर, 2022 तक अपनी अवजल शोधन क्षमता को 130 एमजीडी तक बढ़ाने की योजना बनाई है. कोंडली एसटीपी में उपचार क्षमता 20 एमजीडी, रिठाला एसटीपी में 40 एमजीडी, ओखला एसटीपी में 30 एमजीडी और कोरोनेशन पिलर एसटीपी में 40 एमजीडी बढ़ाई जाएगी. इस प्रकार, दिल्ली इस साल के अंत तक 707 एमजीडी (95 प्रतिशत) अपशिष्ट जल का प्रभावी ढंग से शोधन करने में सक्षम होगी.