दिल्ली की अपना शिक्षा बोर्ड (Delhi Board Of School Education) मंगलवार से अस्तित्व में आ गया. दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन (DBSE) को मंगलवार को रजिस्टर कराया गया है.शुरुआत में दिल्ली सरकार के 20-25 सरकारी स्कूलों को दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन से संबद्ध किया जाएगा. दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने बजट में इसकी रूपरेखा रखी थी.
हाल ही में दिल्ली कैबिनेट की बैठक में दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन के गठन को मंजूरी दी गई थी. अभी दिल्ली में अधिकतर स्कूल CBSE से मान्यता प्राप्त हैं जबकि कुछ स्कूलों में ICSE बोर्ड की मान्यता भी है.दिल्ली में 1000 सरकारी स्कूल है जबकि 1700 स्कूल प्राइवेट हैं.
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) ने बजट पेश करते हुए शिक्षा के क्षेत्र से जुड़ी कई अहम घोषणाएं की थीं. सिसोदिया ने कहा था कि दिल्ली का अब अपना खुद का शिक्षा बोर्ड होगा- दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन. इसके अलावा सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले नर्सरी कक्षा से 8वीं के छात्रों के लिए एक नया सिलेबस डिज़ाइन किया जाएगा. बता दें कि दिल्ली सरकार ने इस साल शिक्षा के लिए 16,300 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं.
शैक्षणिक सत्र 2021-22 में दिल्ली के कुछ सरकारी स्कूलों में दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन (DBSE) के तहत पढ़ाई शुरू करवाई जाएगी. अगले चार-पांच वर्षों में दिल्ली के सभी स्कूलों को इसके तहत लाया जाएगा. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कहना है कि DBSE का उद्देश्य ऐसी शिक्षा प्रदान करना होगा जो "देशभक्त" और आत्म निर्भर छात्रों को तैयार करती है जो समाज और देश की सेवा निःस्वार्थ भाव से करते हैं. इसी के साथ अब रटने पर नहीं समझाने पर जोर होगा.
दिल्ली के सरकारी स्कूलों में चल रहे सीबीएसई बोर्ड को हटाने के सवाल पर मनीष सिसोदिया ने कह चुके हैं बदला जाए. लेकिन नए बोर्ड आने के कारण ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन (JEE) और नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET) जैसी प्रवेश परीक्षाओं के लिए तैयार करने में मदद करेगा, अगली पीढ़ी के छात्र इस बोर्ड की मदद से सरलता से तैयारी कर सकेंगे.