दिल्ली (Delhi) के सबसे बड़े श्मशान घाट (Graveyard) से पर्यावरण (Environment)बचाने की अनोखी मुहिम चल रही है. यह बात अलग है कि लोगों का ध्यान इस तरफ नहीं जाता है या फिर लोग इसके बारे में सोचते नहीं हैं. लेकिन यह बात सच है कि दिल्ली का सबसे बड़ा श्मशान घाट पर्यावरण को बचाने के लिए मुहिम चला रहा है. दिल्ली में अगर सबसे ज्यादा लकड़ी की खपत कहीं होती है तो श्मशान घाट में होती है. दिल्ली के सबसे बड़े निगमबोध श्मशान घाट में हर महीने तकरीबन 1500 शवों का दाह संस्कार किया जाता है. इसके लिए 6 लाख किलो लकड़ी की आवश्यकता पड़ती है. एक शव के दाह संस्कार के लिए तकरीबन 400 किलो लकड़ी की जरूरत होती है.
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निगमबोध श्मशान घाट संचालन समिति की अध्यक्ष सुमन गुप्ता इस अनोखी पहल के बारे में बताया कि पेड़ों की भारी कटाई को रोकने के लिए और लकड़ी का इस्तेमाल कम करने के लिए गोबर की लकड़ी बनाकर उससे दाह संस्कार को बढ़ावा दे रहे हैं. इसके लिए बकायदा एक प्लांट लगाया गया है.
निगमबोध घाट में एक विशेष तकनीक से बनी गोबर की लकड़ी का प्रयोग शवदाह में किया जाता है. इसके अतिरिक्त अन्य विकल्प के रूप में मोक्ष दाह, शव दहन मंच पर दहन करने में आधी लकड़ी का इस्तेमाल होता है और तीसरा सीएनजी स्टेशन है. अब निगमबोध घाट समिति लोगों को समझाने में लगी है कि जिस तेजी से वृक्ष की लकड़ी से अंतिम संस्कार की परंपरा है उसे लोगों को अब बदला चाहिए. इस बदलाव से हमारी प्रकृति के प्रहरी वृक्ष सुरक्षित रहेंगे.
आपको बता दें कि आज विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग तरह के कार्यक्रम हो रहे है. कहीं पर पौधे लगाए जा रहे हैं, तो कहीं पर साइकिल रेस का आयोजन किया जा रहा है. हर कोई पर्यावरण की रक्षा के लिए पहल कर रहा है. ऐसे में दिल्ली के सबसे बड़े श्मशान घाट की पहल सामने आई है. इस बार विश्व पर्यावरण की थीम भी ऑनली अर्थ (केवल प्रथ्वी) रखी गई है.
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