सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाते हुए ना सिर्फ दिल्ली में बल्कि एनसीआर के कई दूसरे इलाकों में भी अब पटाखे जलाने पर पाबंदी लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएस ओका की अगुवाई वाली बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा है कि हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि पटाखों पर बैन तभी सही से प्रभावी हो सकेगा जब एनसीआर में आने वाले क्षत्रों में भी इसी सख्ती से लागू किया जाए.
कोर्ट ने क्या कुछ कहा
कोर्ट ने एमसी मेहता की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है कि एनसीआर इलाके में आने वाले राजस्थान के कई हिस्सों में भी इसी तरह से पटाखों पर बैन लगाने की जरूरत है. बगैर एनसीआर में पटाखों को बंद किए हम स्थिति को बेहतर नहीं कर सकते हैं. इन तमाम इलाकों की सरकार को चाहिए वह दिल्ली की तरह ही अपने यहां भी पटाखों पर लगाए गए प्रतिबंध को लागू करे.
दीवाली हो या शादी नहीं जला पाएंगे पटाखे
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद ये साफ हो गया है कि अगले एक साल तक दिल्ली एनसीआर में चाहे शादी हो या फिर दीवाली ही क्यों ना हो, इन मौके पर अब पटाखे फोड़ने पर पूरी तरह से बैन होगा. जो ऐसा करते पकड़ा जाएगा उसके खिलाफ संबंधित धाराओं के तहत कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है.
क्या है ये आदेश
कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करने के बाद जो आदेश जारी किया उसके तहत अदालत ने कहा है कि पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1993 की धारा पांच के तहत शक्तियां का उपयोग करते हुए दिल्ली सरकार ने एनसीटी दिल्ली में सभी प्रकार के पटाखों के निर्माण, भंडारण, बिक्री, ऑनलाइन मार्केटिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से डिलिवरी और फोड़ने पर तत्काल प्रभाव से पूरे एक वर्ष के लिए पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया है. हम एक बार के लिए सुझाव देते हैं कि दिल्ली के इस मॉडल को ही हर जगह पूरी तरह से लागू किया जाए.
NCR में भी लागू होगा कोर्ट का आदेश
अगर आप एनसीआर के तहत आने वाले उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में रहते हैं तो पटाखों पर लगाए जाने वाला प्रतिबंध आप पर भी लागू होगा. हालांकि, कोर्ट ने अभी कहा कि फिलहाल हम उत्तर प्रदेश और हरियाणा को निर्देश देते हैं कि दिल्ली द्वारा 19 दिसंबर को लगाए गए प्रतिबंध की तरह ही वो भी अपने यहां पाबंदियां लागू करें. सुनवाई के दौरान पटाखों पर साल भर के लिए बैन, जीआरपी और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के अमल को लेकर भी विचार किया गया है.
पटाखे जलाने पर कितनी मिलेगी सजा
कोर्ट ने चुकि दूसरे राज्यों को दिल्ली की तरह ही प्रतिबंध लागू करने की बात कही है तो ऐसे में ये जानना जरूरी है कि दिल्ली सरकार ने अपने यहां पटाखे जलाने पर किस तरह की सजा का प्रावधान किया है. दिल्ली में पटाखों पर लगे प्रतिबंध के बाद अगर अब पटाखे जलाता हुआ पाया गया तो उस पर जुर्माना लगाने के साथ-साथ उसे छह महीने से दो साल तक की सजा भी हो सकती है. यानी ये अगर कोर्ट के आदेश के बाद उत्तर प्रदेश और हरियाणा ने भी दिल्ली की तरह ही सजा का प्रावधान किया तो वहां भी ऐसा करने पर दो साल तक की सजा का प्रावधान हो सकता है साथ ही ऐसा करने वाले पर भारी जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
आखिर क्यों लगाया गया प्रतिबंध
दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण की मात्रा को देखते हुए दिल्ली सरकार ने पटाखे जलाने पर प्रतिबंध लगाया है. पहले यह प्रतिबंध एक जनवरी 2025 तक के लिए लागू किया गया था लेकिन अब इसे एक साल तक के लिए कर दिया गया है. यानी अगले साल 18 दिसंबर तक ये प्रतिबंध लागू रहेगा.
पटाखे बैन से कैसे होगा फायदा
सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली सरकार ने जो अपना पक्ष रखा है उसमें उसने कहा है कि दिल्ली में प्रदूषण की बढ़ती मात्रा के पीछे का एक कारण पटाखे भी हैं. ऐसे में अगर इन पटाखों को जलाने से रोका जाए तो प्रदूषण की मात्रा में काफी कमी आ सकती है. दिल्ली सरकार ने कोर्ट को ये भी बताया है कि दिल्ली में सिर्फ दिल्ली की वजह से ही प्रदूषण नहीं होता है. ऐसे में जब तक इस प्रतिबंध को एनसीआर क्षेत्र तक नहीं लागू किया जाएगा तब तक इसका कोई ज्यादा फायदा नहीं होगा.
कोर्ट में दिल्ली सरकार ने क्या दी दलील
दिल्ली सरकार के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि दिल्ली में निर्माण, स्टोरेज और बिक्री के साथ वितरण और उपयोग पर व्यापक बैन लगाया गया है. लेकिन ये उपाय तभी प्रभावी हो सकते हैं जब एनसीआर के क्षेत्रों पर भी इस बैन को लागू किया जाए. ऐसा इसलिए भी क्योंकि इन राज्यों से पटाखों को दिल्ली लाया जाता है. जब तक ये नहीं किया जाता तब तक हम प्रदूषण को कम करने में उस तरह से कामयाब नहीं होंगे जितने की हमें उम्मीद है.
आखिर क्या है पूरा मामला
आपको बता दें कि ये पूरा मामला दिल्ली में प्रदूषण से जुड़ा हुआ है. बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर लागू प्रतिबंध में कमी पर अपनी चिंता व्यक्त की थी. 12 दिसंबर को कोर्ट ने दिल्ली सरकार और एनसीआर राज्यों को पटाखों के निर्माण, उसके भंडारण, बिक्री,वितरण और उपयोग पर पूरे साल के लिए प्रतिबंध लगाने का निर्णय लेने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने उस दौरान कहा था कि ये प्रतिबंध मौजूदा हालात को देखते हुए बेहद जरूरी मालूम पड़ते हैं.