दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर और बढ़ गया है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के ताजा बुलेटिन के अनुसार, दिल्ली का समग्र वायु गुणवत्ता (Delhi Air Pollution) सूचकांक (AQI) सोमवार को 434 दर्ज किया गया. ये रविवार को दर्ज किए गए AQI (371) से 63 अंक ज्यादा है. रविवार और सोमवार की शाम से दिल्ली के औसत एक्यूआई में इस अचानक वृद्धि को देखते हुए एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने तत्काल समीक्षा बैठक की. CAQM ने जीएनसीटीडी/एनसीआर राज्य सरकारों/अध्यक्षों/राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों (पीसीबी)/डीपीसीसी के सदस्य सचिवों के अधिकारियों को कई निर्देश दिए हैं.
राज्य सरकार के प्रतिनिधियों/एनसीआर पीसीबी/डीपीसीसी के अध्यक्षों और सदस्य सचिवों को वायु गुणवत्ता में हो रहे गिरावट को रोकने के साथ-साथ दिल्ली के समग्र एक्यूआई को नीचे लाने के लिए क्षेत्र में कदम उठाने को कहा गया है. वर्तमान में दिल्ली में हवा की गुणवत्ता 'गंभीर' स्तर पर है. मीटिंग में जीआरएपी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त संख्या में निरीक्षण दल तैनात करने की जरूरत को भी दोहराया गया.
राज्य सरकार के अधिकारियों/एनसीआर प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों/डीपीसीसी ने आश्वासन दिया कि वे जीआरएपी के कार्यान्वयन की समीक्षा करेंगे और प्रदूषण नियंत्रण और शमन उपायों को और तेज करेंगे. इसमें प्रदूषण के विभिन्न स्रोतों के योगदान को कम करने के लिए खुले में अलाव जलाने पर रोक शामिल है.
गंभीर श्रेणी में है दिल्ली की हवा की गुणवत्ता
बता दें कि राजधानी की वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) गंभीर श्रेणी में है और कैंसर पैदा करने वाले प्रदूषकों की सघनता आपातकालीन स्तर पर पहुंच गई है. पीएम 2.5 प्रदूषक (जो फेफड़ों में प्रवेश करता है और पुरानी सांस की बीमारियों का कारण बनता है) विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा से लगभग 100 गुना अधिक है. इस सूक्ष्म प्रदूषक के लंबे समय तक संपर्क में रहने से फेफड़ों का कैंसर भी हो सकता है.
उद्योगों को प्राकृतिक गैस पर स्विच करने की मांग
अब वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) की दक्षता पर सवाल उठाए जा रहे हैं. दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण में सुधार के बाद ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान के चरण III को वायु गुणवत्ता में सुधार के बाद हटा लिया गया था. ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान के चरण III में गैर-आवश्यक निर्माण और विध्वंस कार्य पर प्रतिबंध लगाया जाता है.
हालांकि, वर्तमान में यह लागू है. केंद्र के वायु गुणवत्ता पैनल ने 4 जनवरी के आदेश में भारत मौसम विज्ञान विभाग और भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान के पूर्वानुमान का हवाला देते हुए कड़े प्रतिबंधों में ढील दी थी. विशेषज्ञों का कहना है कि कोयले पर प्रतिबंध एक स्वागत योग्य कदम है, लेकिन सरकार को राष्ट्रीय राजधानी की क्षेत्रीय सफाई पर ध्यान देना चाहिए. इसके लिए उद्योगों को प्राकृतिक गैस पर स्विच करने के लिए लाभ देने की आवश्यकता होगी.
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