दिल्ली विश्वविद्यालय : डूसू चुनाव के लिए एबीवीपी और एनएसयूआई ने की उम्मीदवारों की घोषणा

एबीवीपी के उपाध्यक्ष पद के प्रत्याशी गोविंद तंवर ने कहा, ''मैं विद्यार्थी परिषद का धन्यवाद देना चाहूंगा कि मुझ जैसे सामान्य कार्यकर्ता को छात्रसंघ चुनाव लड़ने का अवसर दिया.

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नई दिल्ली:

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) और नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) ने दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव (डूसू) चुनाव के लिए गुरुवार शाम अपने केंद्रीय पैनल की घोषणा कर दी. एबीवीपी ने अध्यक्ष पद के लिए आर्यन मान और उपाध्यक्ष पद के लिए गोविंद तंवर को अपना उम्मीदवार बनाया है. इसके अलावा एबीवीपी ने सचिव पद पर कुणाल चौधरी और सह सचिव पद के लिए दीपिका झा को चुनाव मैदान में उतारा है.

वहीं, एनएसयूआई ने इस बार होने वाले चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए छात्रा जोश्लिन नंदिता चौधरी को अपना उम्मीदवार बनाया है. एनएसयूआई ने उपाध्यक्ष पद पर राहुल झांसला को, सचिव पद के लिए कबीर को अपना उम्मीदवार बनाया है. इसके अलावा लव कुश बधाना एनएसयूआई की ओर से सह सचिव पद के उम्मीदवार होंगे.

छात्र संगठन का कहना है छात्र राजनीति में महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में यह एक साहसी और प्रगतिशील कदम है. डूसू चुनाव में अध्यक्ष पद के एबीवीपी प्रत्याशी आर्यन मान का कहना है कि विश्वविद्यालय में उनके प्रवेश के पहले दिन से ही छात्रों के मुद्दों को लेकर उनकी समझ बननी शुरू हुई. एबीवीपी से जुड़ने के बाद वह फीस वृद्धि के विरोध में आंदोलन, बुनियादी सुविधाओं के विकास आदि के लिए लगातार प्रयासरत रहे हैं.

एबीवीपी के उपाध्यक्ष पद के प्रत्याशी गोविंद तंवर ने कहा, ''मैं विद्यार्थी परिषद का धन्यवाद देना चाहूंगा कि मुझ जैसे सामान्य कार्यकर्ता को छात्रसंघ चुनाव लड़ने का अवसर दिया. विश्वविद्यालय परिसर में होने वाली समस्याओं के खिलाफ एकमात्र संगठन जो हमेशा सबसे आगे खड़ा रहा है, वह विद्यार्थी परिषद है. नए हॉस्टल निर्माण, आखिरी वर्ष के छात्रों के लिए सप्लीमेंट्री परीक्षा शुरू करने के लिए मैं प्रयासरत रहूंगा.''

डूसू चुनाव में सचिव पद के एबीवीपी प्रत्याशी कुणाल चौधरी ने कहा, कई सारी चुनौतियां है जैसे कि एक- पाठ्यक्रम एक-शुल्क, खेल उपकरणों की कमी, कैंटीन में शुद्ध और पौष्टिक भजन उपलब्ध कराना. उन्होंने कहा कि बाहर से आने वाले छात्रों के रहने के लिए एक समिति बनाई जाए ताकि उनको रहने में कोई परेशानी का सामना न करना पड़े और रूम रेंट कंट्रोल रहे.

वहीं, एनएसयूआई का कहना है कि उनका चुनावी अभियान दिल्ली विश्वविद्यालय में असली परिवर्तन लाने के लिए है. यह अभियान उन जरूरी छात्र समस्याओं को उजागर करता है, जिन्हें वर्तमान शासन मंडल जानबूझकर नजरअंदाज कर रहा है. विश्वविद्यालय में बुनियादी संरचना की कमी, असुरक्षित परिसर, मासिक अवकाश की मांग, सामाजिक न्याय की लड़ाई और वे अयोग्य आरएसएस समर्थित शिक्षकों की नियुक्ति का विरोध करते हैं. दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव 18 सितंबर को होगा और वोटों की गिनती 19 सितंबर को होगी.

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