दिल्ली के साकेत कोर्ट में ज़मानत के आदेश में शब्दों की हेराफेरी कर ज़मानत लेने की कोशिश की जा रही थी. कोर्ट में जब आरोपी बेल बांड भर रहा रहा था तब जज को शक हुआ तो उन्होंने इसकी जानकारी पुलिस को दी. पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. पुलिस के मुताबिक दो दिसम्बर को साकेत कोर्ट के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विवेक कुमार अग्रवाल ने सूचना दी कि एक फ़र्ज़ी बेल ऑर्डर पेश किया गया है.
दरअसल तिगड़ी थाने में दर्ज एक केस में आरोपी करण राज कोर्ट में अपना बेल बांड भर रहा था. साथ में उसने इसी कोर्ट की ज़मानत के आदेश की फोटोकॉपी भी लगाई. ये आदेश कोर्ट ने बीते 26 नवंबर को दिया था. जज को लगा कि इस आदेश की कॉपी में कुछ छेड़खानी की गई है, इसलिए जज साहब ने अदालत में आदेश कॉपी रिकॉर्ड रूम से मंगवाई. जब कोर्ट आदेश की असली कॉपी पेश की गई तो पता चला कि आरोपी को कोर्ट ने जमानत ही नहीं दी थी.
दरअसल आदेश की कॉपी में हेराफेरी कर 'बेल डिसमिस्ड' की जगह 'बेल अलाउड' लिख दिया गया था. इसके बाद दिल्ली पुलिस ने साकेत थाने में केस दर्ज कर जांच शुरू की. आरोपी के वकील ने बताया कि ज़मानत के आदेश की ये कॉपी उसे एक वकील नरेंद्र सांगवान ने व्हाट्सऐप पर भेजी थी. उसे पता नहीं था कि ये ऑर्डर फ़र्ज़ी है. उसने इस आदेश की कॉपी अपने मोबाइल पर भी दिखाई. इस मामले में आगे की जांच जारी है.