"हम एक गैस चैंबर बन गए हैं": धुंध से ढकी दिल्ली में घुटती जिंदगी

दिल्ली को एयर क्वालिटी के लिए लगातार दुनिया की सबसे खराब राजधानी का दर्जा दिया गया है. जब यहां प्रदूषण का स्तर बढ़ जाजा है तब स्मॉग के चलते सड़कों पर दृश्यता का स्तर भी गिर जाता है.

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दिल्ली में लगातार बढ़ते प्रदूषण से लोगों में बढ़ रहीं स्वास्थ्य से जुड़ी दिक्कतें.
नई दिल्ली:

दिल्ली में लगातार बढ़ते जा रहे प्रदूषण से आम जनजीवन बेहाल है. प्रदूषण के कारण सांस से जुड़ी समस्याओं से ग्रसित लोगों के लिए खतरा बढ़ने लगा है. इसका जीता-जागता उदाहरण हैं भजन लाल. दिल्ली की सड़कों पर तीन दशक से ऑटो रिक्शा चला रहे भजन लाल चुभती आंखें, लगातार खांसी और फेफड़ों की पुरानी बीमारी से परेशान हैं. दिल्ली की जहरीली हवा में ऑटो रिक्शा चलाना भजन लाल के स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित किया है.

58 वर्षीय भजन लाल ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि प्रदूषण ने उनके गले को बुरी तरह प्रभावित किया है. उन्होंने कहा, "मेरी आंखें चुभती हैं ... मेरे फेफड़े प्रभावित होते हैं, जिससे सांस लेने में समस्या होती है. बलगम मेरी छाती में जमा हो जाता है."

दिल्ली को एयर क्वालिटी के लिए लगातार दुनिया की सबसे खराब राजधानी का दर्जा दिया गया है. जब यहां प्रदूषण का स्तर बढ़ जाजा है तब स्मॉग के चलते सड़कों पर दृश्यता का स्तर भी गिर जाता है. यह दृश्यता को 50 मीटर तक सीमित कर देता है.

PM2.5 स्तर के पॉल्यूटेंट मानव स्वास्थ्य के लिए सबसे हानिकारक माइक्रोपार्टिकल्स होते हैं. ये फेफड़ों से होते हुए रक्तप्रवाह में प्रवेश कर सकते हैं. यह पिछले सप्ताह विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अनुशंसित अधिकतम दैनिक सीमा से 30 गुना से अधिक तक पहुंच गया.

भजन लाल ने कहा, "मुझे बच्चों और उनके स्वास्थ्य को देखकर बहुत अफ़सोस होता है. वे अपने शुरुआती जीवन से ही बीमार हो रहे हैं."

इन दिनों में भजन लाल के व्यवसाय पर भी बुरा प्रभावत पड़ता है. वह कभी-कभी पूरे दिन सड़कों पर खाली ऑटो-रिक्शा लिए घूमते रहते हैं, लेकिन उन्हें यात्री नहीं मिलते. इन दिनों यात्री अधिक भुगतान कर कैब से यात्रा करना पसंद करते हैं.

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एएफपी के साथ भजन लाल डॉक्टर के पास चेक-अप के लिए गए. जहां उन्हें क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज का पता चला, जो एक प्रगतिशील स्थिति है जो धीरे-धीरे शरीर में वायु प्रवाह को सीमित करती है.

लाल का चेकअप करने वाले डॉक्टर विवेक नांगिया ने कहा, "अगर वह अभी नियमित दवा नहीं लेते हैं, तो वह ऐसी स्थिति में चले जाएंगे जहां वायुमार्ग संकीर्ण और संकीर्ण हो जाएगा और खराब स्थिति में पहुंच जाएगा."

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दिल्ली निवासी विजय सातोकर ने एएफपी को बताया, "मुझे नहीं पता कि इस प्रदूषण का समाधान कहां से आएगा, जो हमें मार रहा है." "हम एक गैस चैंबर बन गए हैं."

इस हफ्ते अधिकारियों ने दिल्ली के आसपास के 11 कोयला बिजली संयंत्रों में से छह को अगली सूचना तक बंद करने का आदेश देने का कठोर कदम उठाया.

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शहर के अधिकारियों ने भी स्कूलों को अनिश्चित काल के लिए बंद कर दिया, आवश्यक सामान ले जाने वाले ट्रकों को छोड़कर अगले सप्ताह तक सभी ट्रकों को शहर में प्रवेश करने से रोक दिया गया है, साथ ही सरकारी कर्मचारियों को घर से काम करने के लिए कहा गया है.

भारत में सालाना दस लाख से अधिक मौतों के लिए स्मॉग को जिम्मेदार ठहराया जाता है, और हाल ही में शिकागो विश्वविद्यालय के एक अध्ययन में पाया गया कि वायु प्रदूषण से हर 10 भारतीयों में से चार की औसत उम्र में नौ साल से अधिक की कमी आने की संभावना है.

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