दिल्ली में शुक्रवार सुबह हुई मुसलाधार बारिश की वजह से राजधानी में जगह-जगह पर जलजमाव देखने को मिल रहा है. जगह-जगह वाहन पानी में फंस गए तो कई जगहों पर घंटों लंबा ट्रैफिक जाम लगा हुआ है. एक दिन की बारिश में ही दिल्ली का ये हाल हो जाएगा, ये किसी नहीं सोचा होगा. आलम कुछ यूं है कि क्या सड़क से लेकर रेल तक और मेट्रो रेल से फ्लाइट तक दिल्ली में इस बारिश ने सभी की रफ्तार को मानों थाम से दिया हो. मौसम विभाग के अनुसार शुक्रवार को दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में जितनी बारिश हुई है, वो औसत से तीन गुणा ज्यादा है.
टूटा 16 का रिकॉर्ड
दिल्ली के सफदरजंग में 228.1 मीमी की बारिश दर्ज की गई है. आम तौर पर जून के महीने में दिल्ली में 74.1 मीमी की बारिश का औसत है. ऐसे में शुक्रवार को जो बारिश दर्ज की गई वो औसत से तीन गुणा ज्यादा था. इतना ही नहीं शुक्रवार की हुई बारिश ने 16 साल का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया है. बीते 16 साल में कभी एक दिन में इतनी बारिश नहीं पड़ी थी.
आने वाले कुछ दिनों तक बारिश का अनुमान
मौसम विभाग की मानें तो 29 जून से 4 जुलाई तक राजधानी में बदरा गरजते और बरसते रहेंगे. IMD ने अगले पांच दिनों तक बारिश और उसके बाद दो दिन तक भारी बारिश का अनुमान जताया है. सोचिए अगर एक दिन की बारिश में दिल्ली-एनसीआर में हाहाकार मच गया है तो पांच दिन में मचने वाले तांडव से दिल्ली के लोग कैसे निपटेंगे.
कारें भी बारिश में डूबीं
दिल्ली और आसपास के लोगों को अभी बारिश से राहत मिलती नहीं दिख रही है. मॉनसून की पहली बारिश में ही दिल्ली का हाल बेहाल हो गया है. महज तीन से साढ़े तीन घंटे की मूसलाधार बारिश ने दिल्ली के ड्रेनेज सिस्टम और एमसीडी के कामकाज की पोल खोलकर रख दी. पहली ही बारिश में दिल्ली-एनसीआर में जगह-जगह पानी जमा हो गया है. हालात इस कदर खराब हैं कि सड़कों पर निकलना मुश्किल काम लग रहा है. कई जगहों पर तो घुटनों तक पानी भरा हुआ है. कई इलाकों में तो बारिश का पानी इतनी तेजी से भरा कि कारें भी जलमग्न हो गईं.
दिल्ली एयरपोर्ट पर हुआ बड़ा हादसा
शुक्रवार सुबह हुई बारिश की वजह से दिल्ली एयरपोर्ट पर एक बड़ा हादसा हो गया. IGI एयरपोर्ट के टर्मिनल 1 पर बने एक शेड के टूटने से एक शख्स की मौत हो गई जबकि कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए. यह घटना उस समय हुई जब बारिश के पानी के दबाव की वजह से एयरपोर्ट के बाहर का यह शेड टूट गया.
आखिर 1 MM की बारिश का मतलब क्या है ?
आपको बता दें कि बारिश की मात्रा को शुरू से ही MM यानी मिलीमीटर में मापा जाता है. लेकिन क्या आपको ये पता है कि आखिर 1 एमएम की बारिश का मतलब होता है क्या है. चलिए आज हम आपको बताते हैं कि आखिर बारिश को मापा कैसे जाता है. बारिश को मापने के लिए मौसम विज्ञानी समय की एक इकाई में प्राप्त वर्षा की मात्रा को मापते हैं. यह माप "लंबाई की इकाई" प्रति "समय की इकाई" के रूप में व्यक्त किया जाता है. उन देशों में जो मीट्रिक माप प्रणाली का उपयोग करते हैं, इसे आमतौर पर प्रति घंटे मिलीमीटर (MM) के रूप में व्यक्त करते हैं. सरल शब्दों में कहें तो बारिश को मापने के लिए एक बर्तन (जिसमें पहले से ही मापक दर्ज होता है) उसमें तय समय के अनुसार जितना बारिश का पानी जमा हुआ उसे बाद में पूरे इलाके के हिसाब से गुणा करके ये मापक निकाला जाता है कि आखिर पूरे इलाके में उस हिसाब से कितनी बारिश हुई होगी.
1 मिमी बारिश, बारिश की "गहराई" को संदर्भित करती है, जो 1 मीटर (m) या एक मीटर लंबाई और चौड़ाई के वर्ग में प्राप्त होगी. तो 1 मिमी बारिश का मतलब एक मीटर वर्ग में 1 लीटर पानी होता है. आपको इसको ऐसे समझिए कि 802 मिमी बारिश का मतलब है कि एक मीटर वर्ग में 802 लीटर बारिश होगी. 140 मिमी का मतलब है कि एक मीटर वर्ग में 140 लीटर पानी आएगा.