दवा के नाम पर मौत का कारोबार... नकली ब्रांडेड दवाओं के देशव्यापी रैकेट का पर्दाफाश, 6 गिरफ्तार

दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की एंटी-गैंग स्क्वॉड ने नकली दवाइयों के अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए सरगना राजेश मिश्रा समेत 6 लोगों को गिरफ्तार किया है. ये नामी कंपनियों के नाम पर नकली दवाएं बनाकर देशभर में बेचता था.

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  • दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की एंटी-गैंग स्क्वॉड ने नकली दवाओं के बड़े गिरोह का भंडाफोड़ किया है.
  • ये रैकेट बेहद संगठित और हाई-टेक तरीके से चलाया जा रहा था. सरगना समेत 6 आरोपी गिरफ्तार.
  • पुलिस ने भारी मात्रा में नकली ब्रांडेड दवाइयां और उन्हें बनाने का सामान भी जब्त किया है.
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नई दिल्ली:

दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की एंटी-गैंग स्क्वॉड ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए नकली दवाइयों के एक अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ किया है. गिरोह के सरगना राजेश मिश्रा समेत 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. भारी मात्रा में नकली तैयार दवाइयां और उन्हें बनाने का सामान जब्त किया गया है. ये रैकेट बहुत ही संगठित और हाई-टेक तरीके से चलाया जा रहा था. पैसों का लेन-देन हवाला के जरिए होता था. 

पुलिस के मुताबिक, ये गिरोह Johnson & Johnson, GSK और Alkem जैसी नामी दवा कंपनियों के नाम पर नकली दवाइयां बनाकर देशभर में बेचता था. गिरोह का जाल देश के कई हिस्सों में फैला था. मुरादाबाद, देवरिया, गोरखपुर , पानीपत, जींद , बद्दी और सोलन से ये गोरखधंधा चलाया जा रहा था. 

कार से मिला नकली कारोबार का सुराग

मुखबिर से हेड कांस्टेबल जितेंद्र को इनपुट मिला था कि नकली दवाइयों की एक बड़ी खेप दिल्ली लाई जा रही है. सूचना के आधार पर 30 जुलाई 2025 को सिविल लाइंस इलाके के एक पेट्रोल पंप पर जाल बिछाया गया. यूपी नंबर की एक वैगनआर कार जैसे ही वहां पहुंची, उसे रोककर उसमें बैठे मोहम्मद आलम और मोहम्मद सलीम को हिरासत में ले लिया गया. 

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पुलिस के मुताबिक, दोनों आरोपी मुरादाबाद के रहने वाले हैं. तलाशी में इनके पास से भारी मात्रा में नकली Ultracet और Augmentin की गोलियां बरामद हुईं. मौके पर मौजूद Johnson & Johnson और GSK के प्रतिनिधियों ने इन दवाइयों की पैकिंग और स्टैंपिंग देखकर नकली करार दिया. बाद में लैब टेस्ट में भी इनके नकली होने की पुष्टि हो गई.

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नकली दवाइयों का हाई-टेक रैकेट

पुलिस जांच में पता चला कि नकली दवाओं का यह रैकेट बेहद संगठित और हाई-टेक तरीके से चलाया जा रहा था. गिरोह के लोग संपर्क करने के लिए फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते थे. नकली दवाओं के लिए पैकेजिंग बॉक्स अलग-अलग जगहों से खरीदे जाते थे. फॉयल और ब्लिस्टर पैकिंग का सामान हिमाचल प्रदेश के बद्दी से मंगवाया जाता था. हरियाणा के जींद और हिमाचल के बद्दी की फैक्ट्रियों में नकली दवाएं तैयार की जाती थीं. तैयार नकली दवाओं की सप्लाई रेल और सड़क मार्ग से पूरे देश में की जाती थी. पैसों का लेन-देन फर्जी बैंक खातों और हवाला चैनलों के जरिए होता था.

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गिरफ्तार आरोपी और उनकी भूमिकाएं

  1. मोहम्मद आलम (35), मुरादाबाद: नकली दवाओं की NCR में सप्लाई का जिम्मेदार. कार से पकड़ा गया.
  2. मोहम्मद सलीम (42), मुरादाबाद: आलम का भाई, सप्लाई और ट्रांसपोर्ट में मदद करता था.
  3. मोहम्मद जुबैर (29), मुरादाबाद: नकली दवाओं का सप्लायर. वॉट्सएप चैट और पैसों के लेन-देन से उसकी भूमिका साबित हुई.
  4. प्रेम शंकर प्रजापति (25), देवरिया: मैन्युफैक्चरिंग यूनिट से दवाएं लेकर डिस्ट्रीब्यूटर्स तक पहुंचाने की जिम्मेदारी इसी की थी.
  5. राजेश मिश्रा (52), गोरखपुर: इस रैकेट का कथित मास्टरमाइंड. नकली दवा बनाने से लेकर पूरा नेटवर्क चलाता था.
  6. परमानंद (50), जींद: 'लक्ष्मी मां फार्मा' नाम से यूनिट चलाता था, जहां नकली Ultracet बनाई जाती थी.

किस कंपनी की नकली दवाएं बरामद

  • Ultracet (Johnson & Johnson): 9015 टैबलेट
  • Augmentin 625 (GSK): 6100 टैबलेट
  • Pan-40 (Alkem): 1200 टैबलेट
  • Betnovate-N (GSK): 1166 ट्यूब
  • Amoxycillin: 25650 टैबलेट
  • PCM: 5900 टैबलेट
  • Kanacort Injection (Steroid): 74 बॉक्स
  • Proyco SPAS: 12000 टैबलेट

फैक्ट्रियों से भारी मात्रा में माल जब्त

तैयार नकली दवाओं के अलावा फैक्ट्रियों से दवाएं बनाने का भारी मात्रा में माल जब्त किया गया. पुलिस के मुताबिक, इनमें 150 किलो लूज टैबलेट, 20 किलो लूज कैप्सूल, 10 रोल फॉयल और Zerodol SP, Pantop DSR जैसी हजारों टैबलेट्स के पैक शामिल हैं. इनके अलावा हजारों पैकिंग बॉक्स भी बरामद किए गए हैं. Zerodol SP के 900 बॉक्स, Pantop DSR के 300 बॉक्स, Clavam 625 के 10 बॉक्स, Veef-O LB के 200 बॉक्स, Vemox-625 LB के 1000 बॉक्स और अन्य ब्रांडेड दवाओं के खाली डिब्बे भी जब्त किए गए हैं.

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पुलिस का कहना है कि इन नकली दवाओं से मरीजों की जान को गंभीर खतरा हो सकता था. फिलहाल पुलिस इस नेटवर्क में शामिल बाकी लोगों और पैसों के लेनदेन की जांच कर रही है. पैसे की लेन-देन की कड़ियों और सप्लायरों का पता लगाने की कोशिश भी की जा रही है. 

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