दिल्ली में लोगों की जान लेने वाले मेडिकल रैकेट में पुलिस को मिला फार्मेसी लिंक : सूत्र

डॉ. नीरज अग्रवाल प्रत्येक मरीज द्वारा बिल की राशि का 35 प्रतिशत भुगतान जुल्फिकार को करने पर सहमत हुए थे. साथ ही सूत्रों ने बताया कि पैसा यूपीआई के जरिए ट्रांसफर किया गया था. 

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अग्रवाल मेडिकल सेंटर से इस सप्ताह की शुरुआत में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया था.
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  • अस्‍पताल में एक स्थानीय फार्मेसी लोगों को रेफर करवाती थी : सूत्र
  • जुल्फिकार फार्मेसी को बिना किसी वैध लाइसेंस के चला रहा था
  • अग्रवाल मेडिकल सेंटर से पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया था
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नई दिल्‍ली:

दक्षिणी दिल्ली (South Delhi) के जिस फर्जी अस्पताल में कथित तौर पर अयोग्य डॉक्टरों द्वारा ऑपरेशन के बाद दो मरीजों की मौत हो गई थी, वहां एक स्थानीय फार्मेसी (Pharmacy) लोगों को रेफर करवाती थी. सूत्रों ने यह जानकारी दी है. गिरफ्तार संदिग्धों से पूछताछ के बाद दिल्‍ली पुलिस (Delhi Police) फार्मेसी तक पहुंची, जहां उन्हें फार्मेसी मालिक जुल्फिकार मिला. जुल्फिकार फार्मेसी को बिना वैध लाइसेंस के चला रहा था. सूत्रों ने कहा कि आखिरी मरीज, जिसकी अग्रवाल मेडिकल सेंटर में मौत के बाद पुलिस की नजर पड़ी थी, उसे जुल्फिकार ने रेफर किया था. 

इस सप्ताह की शुरुआत में चार लोगों - डॉ. नीरज अग्रवाल, उनकी पत्नी पूजा अग्रवाल और डॉ. जसप्रीत सिंह को पूर्व प्रयोगशाला तकनीशियन महेंद्र सिंह के साथ गिरफ्तार किया गया था. उन्‍हें सर्जरी कराने वाले दो मरीजों की मौत के बाद अग्रवाल मेडिकल सेंटर से गिरफ्तार किया गया था. मरीजों के परिजनों का आरोप है कि डॉ. अग्रवाल एक फिजिशियन हैं, लेकिन उनके पास जाली दस्तावेज हैं और वे कई तरह की सर्जरी करते हैं. 

सूत्रों ने बताया कि जुल्फिकार संगम विहार इलाके में क्लिनिक-कम-मेडिसिन की दुकान पर होम्योपैथिक और एलोपैथिक दवाएं बेचता था, लेकिन उसके पास दवा बेचने का वैध लाइसेंस नहीं था और उसने डॉ. नीरज अग्रवाल से संपर्क किया था. उसे अग्रवाल का नंबर उन कार्डों से मिला था जो संगम विहार में अग्रवाल मेडिकल सेंटर के कर्मचारियों द्वारा बांटे गए थे. 

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इसके बाद वे एक ऐसी व्‍यवस्‍था पर पहुंचे, जिसके तहत जुल्फिकार ने क्लिनिक में उन रोगियों को भेजा जिन्हें गुर्दे, पित्ताशय की पथरी के लिए ऑपरेशन की जरूरत थी. साथ ही वह गर्भवती महिलाओं को प्रसव और गर्भपात के लिए भी भेजता था. 

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डॉ. नीरज अग्रवाल प्रत्येक मरीज द्वारा बिल की राशि का 35 प्रतिशत भुगतान करने पर सहमत हुए थे. साथ ही सूत्रों ने बताया कि पैसा यूपीआई के जरिए ट्रांसफर किया गया था. 

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असगर अली की 2022 में हो गई थी मौत 

इसके साथ ही सूत्रों ने बताया कि यह व्यवस्था करीब छह साल से चल रही थी.  उसके द्वारा भेजा गया अंतिम मरीज असगर अली था, जिसकी इलाज के दौरान मौत हो गई. असगर अली को 2022 में पित्ताशय की सर्जरी के लिए क्लिनिक में भर्ती कराया गया था, जिसका ऑपरेशन कथित तौर पर पूजा अग्रवाल और महेंद्र ने किया था. 

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जुल्फिकार को होती थी मोटी कमाई 

जुल्फिकार हर महीने करीब 40 से 50 मरीजों को अग्रवाल मेडिकल सेंटर भेजता था. सूत्रों ने बताया कि डॉ. नीरज अग्रवाल प्रसव, पथरी के ऑपरेशन के लिए 15 से 20 हजार रुपये और गर्भपात के लिए 5 से 6 हजार रुपये लेते थे, जिससे जुल्फिकार को मोटी कमाई होती थी. 

पुलिस को 2016 से मिल रहीं शिकायतें 

पुलिस ने कहा कि 2016 से डॉ. अग्रवाल, पूजा और अग्रवाल मेडिकल सेंटर के खिलाफ कम से कम नौ शिकायतें मिली हैं. समाचार एजेंसी पीटीआई ने पुलिस सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि सात मामलों में मरीजों की मौत चिकित्सकीय लापरवाही के कारण हुई.

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