दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की एक टीम ने दिल्ली में ESIC डिस्पेंसरी को आपूर्ति की जाने वाली दवाओं की चोरी में शामिल ESIC के अधिकारियों को गिरफ्तार किया है. दो व्यक्तियों को ईएसआई स्टैम्प वाली बड़ी मात्रा में दवाओं के साथ रंगे हाथ पकड़ा गया है. पकड़े गए आरोपियों में से एक चंद्र प्रकाश ईएसआईसी ओखला दिल्ली में फार्मासिस्ट था. इस संबंध में क्राइम ब्रांच ने मामला दर्ज किया था. चार आरोपियों को शुरुआती दौर में गिरफ्तार किया गया था. अब मास्टरमाइंड डॉ अविनाश सैनी को ईएसआईसी कालकाजी दिल्ली से गिरफ्तार किया गया है.
पुलिस के मुताबिक जो लोग गिरफ्तार हुए हैं उनमें चन्द्रप्रकाश, प्रवीण मंगला, सुमेश राठी, आंकित मिश्रा और अविनाश सैनी शामिल हैं. क्राइम ब्रांच के जॉइंट सीपी आलोक कुमार के मुताबिक एक सूचना मिली थी कि ESI के अधिकारी दिल्ली में ESIC औषधालयों को आपूर्ति की जाने वाली दवाओं की चोरी में शामिल हैं. पहले चार आरोपियों को तब पकड़ा गया जब वे ईएसआई डिस्पेंसरी से अवैध रूप से खरीदी गई दवाओं की डिलीवरी कर रहे थे. आरोपी व्यक्तियों के पास से बड़ी मात्रा में ईएसआई स्टाम्प वाली महंगी दवाएं बरामद की गई हैं.
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उन्होंने बताया कि इसी मामले में एक दूसरी सूचना के आधार पर जांच के दौरान ईएसआई डिस्पेंसरी ओखला व टिगरी से मेडिसिन स्टॉक रिपोर्ट प्राप्त की गई. आरोपी व्यक्तियों से बरामद कई दवाओं के बैच या लॉट नंबर उपरोक्त स्टॉक रिपोर्ट से मेल खाते हैं. बरामद दवा ईएसआईसी के कार्ड धारक पर जारी की गई थी, कार्ड धारक का पता लगाया गया और पूछताछ की गई और यह पता चला कि कुछ सदस्य इन औषधालयों में नहीं गए थे और उनमें से कुछ ने दौरा किया था, लेकिन वे जिस दवा में बारे में लिखा था उनकी बीमारी के लिए वो दवा थी ही नहीं। जांच में पता चला कि आरोपी चंद्र प्रकाश व्हाट्सएप पर डॉ अविनाश के संपर्क में था और चंद्र प्रकाश ने रोगी कार्ड पर सदस्यता के लिए महंगी दवाओं का नाम सुझाया, जिसकी मांग बाजार में थी. वही दवाएं ईएसआईसी लाभार्थी कार्ड पर डॉ अविनाश सैनी द्वारा लिखी गई थीं. आरोपी चंद्र प्रकाश और डॉ अविनाश सैनी ने पैसा कमाने के लिए जीवन रक्षक दवाओं को बाजार में बेच दिया.
ज्वाइंट सी ने बताया कि पुलिस ने 22 अक्टूबर को कालकाजी इलाके से डॉक्टर अविनाश को गिरफ्तार कर लिया. आरोपी अविनाश का जन्म दिल्ली में हुआ था और उसके बाद उसका परिवार ग्रेटर नोएडा में रहने लगा. उसने कर्नाटक से एमबीबीएस किया था. एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद उसे ईएसआईसी अस्पताल में डॉक्टर की नौकरी मिल गई. वह सह-आरोपी चंद्र प्रकाश के संपर्क में आया और चंदर प्रकाश के निर्देश पर जीवन रक्षक दवाओं को अवैध तरीके से बेचने लगा. चंद्र प्रकाश ने अवैध रूप से इन दवाओं को ईएसआईसी औषधालयों से लिया और इन्हें बाजार में बेच दिया. मामले की आगे की जांच जारी है।
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