दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन की सरकार से 22000 अतिथि शिक्षकों को पक्का करने की मांग  

दिल्ली के सरकारी स्कूल के 22000 अतिथि शिक्षकों को स्थायी करने का समर्थन करते हुए दिल्ली अभिभावक संघ ने केजरीवाल को लिखा पत्र

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7 साल पहले अरविन्द केजरीवाल ने इन टीचर्स को पक्का करने का वादा किया था
नई दिल्ली:

दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन (डीपीए) (DPA) ने दिल्ली सरकार से सरकारी स्कूलों के 22000 अतिथि अध्यापकों को नियमित करने की आल इंडिया गेस्ट टीचर्स एसोसिएशन (एआइजीटीए) की मांग का समर्थन किया है. दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल (Anil Baijal) को लिखे पत्र, जिसकी प्रति मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को भी भेजी गयी है, में एसोसिएशन ने कहा कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में अतिथि टीचर्स 2011 से अपनी सेवाएं दे रहे हैं. साथ ही मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने 7 साल पहले इन शिक्षकों को पक्का करने का वादा किया था.

दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष अपराजिता गौतम ने एक बयान में बताया कि उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र में एसोसिएशन ने दिल्ली सरकारी स्कूलों के 22000 अतिथि अध्यापकों के नियमितीकरण का समर्थन करते हुए अनुरोध यह पत्र लिखा है. पत्र, जिसकी प्रति बयान के साथ जारी की गयी है में कहा है - '' दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन (डीपीए), आल इंडिया गेस्ट टीचर्स एसोसिएशन (एआइजीटीए) इस मांग का समर्थन करते हुए आपसे अनुरोध करती है कि दिल्ली की शिक्षा को विश्व पटल पर ख्याति दिलवाने में महत्वपूर्ण भागीदारी रखने वाले सभी इन सभी अतिथि टीचर्स को स्थाई करने की बिना देरी के घोषणा की जाए.

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पात्र में एसोसिएशन ने कहा है कि ''अतिथि टीचर्स 2011 से अपनी सेवाएं दे रहे हैं और मुख्यमंत्री केजरीवाल ने सात साल पहले उन्हें पक्का करने का वादा किया था. सरकार की नाकामी के चलते कई टीचर्स अपनी आयु सीमा पूरी कर चुके हैं जिसकी वजह से नौकरी के फॉर्म नहीं भर सकते. यह टीचर्स 10 साल से दिहाड़ी मजदूरी पर कार्य कर रहे हैं जो शर्मनाक है.'' दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन ने कहा - ''टीचर्स की आज ज़रूरत स्कूलों में है सड़कों पर नहीं. आज इन विषम परिस्थितियों में टीचर्स की सबसे ज्यादा आवश्यकता बच्चों को है क्योंकि करोना काल ने बच्चों के उज्जवल भविष्य पर सवालिया निशाँ लगा दिया है. पिछले करीब 2 साल से पढ़ाई का जबरदस्त नुक्सान हो रहा है. यदि आज ये हज़ारों की संख्या में टीचर्स मजबूरन धरने पर बैठे तो दिल्ली के लाखों बच्चों का भविष्य प्रभावित होगा.''

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 एसोसिएशन ने कहा कि अतिथि टीचर्स 10-10 साल से दिहाड़ी मजदूरी पर कार्य कर रहे हैं. उन्हें 15,000  से 16,000 की सैलरी मिल रही है वो एक मजदूर या दस पास की नौकरी करने वाले को मिलती है. इससे टीचर्स में गहरी निराशा है. बच्चों पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पद रहा है जिसके दूरगामी प्रभाव पड़ेंगे.''

पत्र में कहा गया है कि इन शिक्षकों को पक्का न किया जाना सुप्रीम कोर्ट के 2016 के आदेश की भी अवमानना है जिसमें समान कार्य के लिए समान वेतन की बात कही गयी है. संविधान के आर्टिकल 14 और 21 के उल्लंघन के अतिरिक्त दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट की अवमानना कर रही है क्योंकि सरकारी स्कूलों में अतिथि और स्थायी टीचर एक सामान कार्य कर रहे हैं.

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एसोसिएशन ने कह - ''जहाँ प्राइवेट स्कूलों में भी 7वें वेतन आयोग को लागू करने की बात सरकार करती है, वही स्वयं अपने सरकारी स्कूलों में इसका उल्लंघन कर  रही है. मुख्यमंत्री को 7 साल पहले किया गया वादा  निभाना चाहिए.'' उन्होंने पत्र में कहा कि बच्चों को टीचर्स की ज़रूरत है. पढ़ाई का मुख्य स्रोत टीचर और किताब होते हैं और टीचर ही स्कूलों में नहीं होंगे तो बच्चे स्कूलों के सजे कमरों में क्या करेंगे.

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पत्र में कहा गया है कि दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन और आल इंडिया गेस्ट टीचर्स एसोसिएशन द्वारा उठाये गयी सभी मांगों का तथ्यों को देखते हुए पूरा समर्थन करता है और दिल्ली के माननीय मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और उप राज्यपाल अनिल बैजल से अनुरोध करता है कि दिल्ली सरकारी स्कूलों के 22000 अतिथि अध्यापकों के नियमितीकरण पर जल्द से जल्द आदेश जारी कर उन्हें नियमित किया जाये.''  
 

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