सीवर की सफाई में भुगतान विवाद पर भी एलजी सख्त: 16 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं करने के मामले में मुख्य सचिव को निर्देश

शिकायत के मुताबिक, जल बोर्ड व डीआईसीसीआई के बीच हुए समझौते के तहत हर महीने ठेकेदारों को भुगतान किया जाना था लेकिन पिछले चार वर्ष में समय पर कभी भी भुगतान नहीं किया गया.

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दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने मुख्य सचिव से उस शिकायत पर गौर करने को कहा है.
नई दिल्ली:

दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने मुख्य सचिव से उस शिकायत पर गौर करने को कहा है, जिनमें कहा गया है कि दिल्ली जल बोर्ड के तहत आने वाली सीवर लाइन को साफ करने के लिए राज्य सरकार की ओर से 16 करोड़ रुपये के बिल का भुगतान नहीं किया गया है. एलजी दफ्तर के अधिकारियों ने बताया कि दलित इंडिया चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (डीआईसीसीआई) ने यह शिकायत की है. इस मामले पर दिल्ली सरकार या जल बोर्ड की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.

एलजी ने भुगतान करने में ‘अत्याधिक देरी' पर नाखुशी जताई है और मुख्य सचिव को दिवाली से पहले दलित सफाई कर्मियों के सभी ‘वास्तविक दावों' का निस्तारण करने के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया. जल बोर्ड ने 20 फरवरी 2019 को डीआईसीसीआई के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे जिसके तहत सीवर की सफाई के लिए प्रौद्योगिकी आधारित समाधान लागू करने थे ताकि दिल्ली में हाथ से मैला ढोने का चलन खत्म हो जाए.

अधिकारियों ने बताया कि समझौते के मुताबिक, सीवार लाइन साफ करने के लिए जल बोर्ड हाशिए पर पड़े समुदाय के 189 ठेकेदारों को रखेगा. उन्होंने बताया कि ये ठेकेदार जल बोर्ड के तहत आने वाले इलाकों में सीवर लाइन की सफाई के लिए एक हजार से ज्यादा सफाई कर्मचारियों को रखेंगे. ठेकेदार ‘स्टैंड अप इंडिया' योजना के तहत ऋण सहायता से सीवर की सफाई करने वाली मशीनें खरीदेंगे.

भारतीय स्टेट बैंक ने मियादी ऋण को परियोजना लागत के 90 प्रतिशत तक - प्रत्येक मशीन के लिए 40 लाख रुपये तक - बढ़ा दिया था और शेष 10 प्रतिशत धन दलित उद्यमियों ने दिया. अधिकारियों ने कहा, “ दिल्ली सरकार की ओर से बिल का भुगतान नहीं करने की वजह से दलित कर्मचारियों को कई महीने तक वेतन नहीं मिलता है और ठेकेदार ईंधन, संचालन, रखरखाव तथा बैंक को ईएमआई चुकाने जैसे आवश्यक व्यय भी पूरा नहीं कर पा रहे हैं.”

शिकायत के मुताबिक, जल बोर्ड व डीआईसीसीआई के बीच हुए समझौते के तहत हर महीने ठेकेदारों को भुगतान किया जाना था लेकिन पिछले चार वर्ष में समय पर कभी भी भुगतान नहीं किया गया.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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