दिल्ली हाईकोर्ट ने कोरोना मरीजों के निजी इस्तेमाल के लिए ऑक्सीजन कंसेन्ट्रेटर पर बड़ी राहत दी दै. हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला करते हुए व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिए ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के आयात पर IGST लगाने को असंवैधानिक करार दिया है. हाईकोर्ट ने कहा कि व्यक्तिगत उपयोग के लिए किसी व्यक्ति द्वारा ऑक्सीजन कन्संट्रेटर के आयात पर टैक्स लगाना असंवैधानिक है. हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार की अधिसूचना रद्द कर दी है. अदालत ने शुक्रवार को स्पष्ट किया है कि व्यक्ति को शपथपत्र (अंडरटेकिंग) देना होगा कि वो उसका व्यावसायिक उपयोग नहीं करेगा.
दिल्ली हाईकोर्ट ने भारत में व्यक्तिगत उपयोग के लिए उपहार के रूप में ऑक्सीजन कंसेन्ट्रेटर के आयात पर IGST (इंटीग्रेटेड जीएसटी) लगाने को चुनौती देने वाली याचिका पर आदेश सुनाया है. केंद्र सरकार ने इन पर 12 फीसदी आईजीएसटी लगाने की अधिसूचना जारी की थी.
गौरतलब है कि कोर्ट में याचिका के साथ विशेषज्ञों ने भी सवाल उठाया था कि कोई व्यक्ति आयातित ऑक्सीजन कॉन्सनट्रेटर खरीदता है तो भी उसे IGST के रूप में सरकार को 12 फीसदी टैक्स देना होगा. 1 मई तक यह टैक्स 28 फीसदी था, लेकिन फिर राहत के तौर पर इसे घटा दिया गया था. लेकिन 12 फीसदी भी क्यों? ऐसे संकट के वक्त में क्यों इसे टैक्सफ्री नहीं रखा जा सकता? जो लोग ऑक्सीजन मशीनों का इस्तेमाल कर रहे हैं, वो कोरोना मरीज हैं, और फिर भी सरकार उनसे मेडिकल सुविधाओं पर टैक्स देने को कह रही है, ताकि उसका राजस्व बढ़ता रहे.
कोरोना मरीज की ऑक्सीजन कंसेन्ट्रेटर्स तक पहुंच रहेगी और उसे इसकी जररूत है तो वो डॉक्टर के सलाह पर अस्पताल में भर्ती होने से बच सकता है. तो फिर क्या ऐसी सुविधाओं पर टैक्स लगाने की बजाए इसे प्रोत्साहन नहीं देना चाहिए? विशेषज्ञों ने सवाल उठाया था कि बजट के लिए सरकार कई मेडिकल सप्लाई पर आम जनता से राजस्व बटोर रही है. सरकार ऐसे लोगों से टैक्स ले रही है, जो कोरोना से जुड़ी दवाइयां जैसे रेमडेसिवीर सहित कई अन्य दवाइयां खरीद रहे हैं, वहीं जो लोग सप्लीमेंट्स और ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए मेडिकल श्रेणी का ऑक्सीजन खरीद रहे हैं, उनपर12 फीसदी तक का टैक्स लगा रही है.