दिल्ली उच्च न्यायालय ने लोकसभा सांसद चिराग पासवान को उनके दिवंगत पिता रामविलास पासवान को आवंटित बंगले से बेदखल करने के मामले में हस्तक्षेप करने से बृहस्पतिवार को इनकार कर दिया. न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने चिराग की मां रीना पासवान द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए कहा कि वह इस स्तर पर उस प्रक्रिया को नहीं रोकेंगे, जो पहले ही शुरू हो चुकी है. याचिकाकर्ता के वकील ने ‘व्यावहारिक कठिनाइयों' का हवाला देते हुए अदालत से राष्ट्रीय राजधानी के बीचों-बीच जनपथ स्थित बंगले को खाली करने के लिए चार महीने का समय मांगा. उन्होंने अदालत को बताया कि मौजूदा समय में वहां सैकड़ों लोग रह रहे हैं.
इस पर न्यायमूर्ति वर्मा ने कहा, ‘‘यह आपका पार्टी मुख्यालय नहीं है.'' उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया 2020 में शुरू हुई थी और संबंधित पक्षों को नोटिस भी जारी किये गये थे. अदालत ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा, “बाहर निकलिए सर. प्रक्रिया शुरू हो चुकी है.”
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अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने अदालत को बताया कि बंगला खाली कराने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और वहां रह रहे लोगों को इसका नोटिस 2020 में ही दे दिया गया था. उन्होंने कहा, “प्रक्रिया शुरू हो गई है. बहुत कम घरेलू सामान बचा है. पांच ट्रक निकल चुके हैं.” केंद्र सरकार ने बुधवार को लोकसभा सांसद को जनपथ बंगले से बेदखल करने के लिए एक टीम भेजी थी. पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन के बाद यह बंगला लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) का आधिकारिक पता बन गया है, जो चिराग पासवान और उनके चाचा पशुपति कुमार पारस के बीच मतभेद के चलते दो गुटों में बंट गई है. इस बंगले का इस्तेमाल नियमित रूप से पार्टी की संगठनात्मक बैठकों और अन्य संबंधित कार्यक्रमों के आयोजन के लिए किया जा रहा था.