दिल्ली हाईकोर्ट की पीठ ने वकील के खिलाफ अवमानना याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग किया

आरोप है कि पूर्व न्यायिक अधिकारी से मारपीट का दोषी ठहराए जाने के बाद वकील ने अदालत के कामकाज में कथित तौर पर हस्तक्षेप किया था

विज्ञापन
Read Time: 24 mins
प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:

दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) की एक पीठ ने बृहस्पतिवार को जिला अदालत की एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया जिन्होंने एक वकील के खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही शुरू करने का अनुरोध किया है. आरोप है कि पूर्व न्यायिक अधिकारी से मारपीट का दोषी ठहराए जाने के बाद वकील ने अदालत के कामकाज में कथित तौर पर हस्तक्षेप किया था. न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति अमित शर्मा की पीठ ने कहा, ‘‘निजी तौर पर पेश हुईं याचिकाकर्ता सुजाता कोहली के अनुरोध पर, कथित पक्षपात की किसी भी संभावना को टालने के लिए, हम सुनवाई से खुद को अलग करना उचित समझते हैं.''

अदालत ने निर्देश दिया कि अवमानना मामले को मुख्य न्यायाधीश के आदेश के अधीन उच्च न्यायालय की एक अन्य पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए.

पिछले साल 29 अक्टूबर को एक निचली अदालत ने हमला के एक मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन (DHCBA) के पूर्व अध्यक्ष राजीव खोसला को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत दंडनीय अपराधों के लिए दोषी ठहराया था.

Advertisement

शिकायतकर्ता सुजाता कोहली ने आरोप लगाया था कि अगस्त 1994 में खोसला ने उन्हें बालों से पकड़कर घसीटा था. हमले की घटना के समय कोहली तीस हजारी अदालत में वकील थीं. वह दिल्ली न्यायपालिका में न्यायाधीश बनीं और 2020 में जिला और सत्र न्यायाधीश के रूप में सेवानिवृत्त हुईं.

Advertisement

उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी याचिका में कोहली ने दावा किया कि सजा के मुद्दे पर निचली अदालत की कार्यवाही खोसला और उनके समर्थकों के कब्जे के कारण ‘‘बाधित'' हो गई थी.

Advertisement

कोहली ने आरोप लगाया है कि अपनी सजा के बाद खोसला ने ‘‘बार निकायों से उसके साथ जुड़ने की अपील की'' और उन्होंने हड़ताल पर जाने का फैसला करते हुए उनका साथ दिया. कोहली ने यह भी दावा किया कि अदालत कक्ष के अंदर खोसला का आचरण आपत्तिजनक था.

Advertisement

याचिकाकर्ता ने कहा, ‘‘दोषी/प्रतिवादी (खोसला) ने सोशल ग्रुप पर सामग्री के प्रकाशन द्वारा, संबंधित अदालत का बहिष्कार करने के लिए हड़ताल को लेकर भीड़ का समर्थन जुटाया. कुर्सियों पर खड़े होकर नारेबाजी करते हुए न्याय के कामकाज में हस्तक्षेप किया और एक खास न्यायाधीश को पक्षपाती कहा और 95 प्रतिशत न्यायाधीशों को भ्रष्ट कहा.''

इस साल की शुरुआत में, अदालत ने जिला न्यायाधीश (मुख्यालय) को एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था और 27 और 30 नवंबर, 2021 को हुई सुनवाई की रिकॉर्डिंग सहित ‘सुनवाई अदालत' के पूरे रिकॉर्ड के साथ-साथ दोनों दिन तीस हजारी अदालत के अदालत कक्ष 38 के बाहर और भीतर मौजूद लोगों के सीसीटीवी फुटेज भी मांगे थे.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Chhath Puja 2024: Tickets की लंबी Waiting, Stations पर भीड़, यात्री कैसे पहुंचेंगे घर? | Bihar
Topics mentioned in this article