कोरोनावायरस महामारी लाखों जिंदगियां उजाड़ रही है. दिल्ली के जीटीबी अस्पताल में 150 दिनों की नवजात शिशु परी कोविड से जिंदगी की जंग लड़ती रही, लेकिन उसका नन्हा शरीर हार गया. परी कोविड से संक्रमित थी और वो छह दिनों से वेंटिलेटर पर थी. गम में डूबे परी के पिता ने NDTV से कहा कि 'उसका इलाज जीटीबी अस्पताल में चल रहा था.... वो कितने दर्द में रही होगी, लेकिन वो हमसे नहीं कह सकती थी. वायरस इतना खतरनाक था, कि इससे उसके फेफड़े पूरी तरह संक्रमित हो चुके थे.'
परिवार ने बच्ची को बचाने के लिए सबकुछ किया, लेकिन नहीं बचा पाए. उसके अंकल ने उसे खून भी दिया. उन्होंने बताया, 'उसको खून की कमी हो गई थी, तो मैंने उसे अपना खून दिया. उसको ए पॉजिटिव चाहिए था.'
'परी का दाह संस्कार सबसे मुश्किल'
दिल्ली के सीमापुरी इलाके में नेता और सामाजिक कार्यकर्ता जितेंद्र सिंह शंटी महामारी में अपनों को खो रहे परिवारों को उनके अंतिम संस्कार में मदद पहुंचा रहे हैं. उन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर कोविड की दूसरी लहर में अब तक 2,000 अंतिम संस्कार किए हैं. लेकिन परी का अंतिम संस्कार उनके लिए सबसे ज्यादा मुश्किल था. उन्होंने NDTV से कहा, 'इंसान नहीं मर रहे हैं, इंसानियत मर रही है.'
उन्होंने बताया, 'इस बच्ची के दाह संस्कार में हम सब रोए. यह बहुत खतरनाक है कि इस वायरस बच्चों पर हमला कर रहा है, लेकिन उससे भी खतरनाक बात यह है कि सही इलाज नहीं मिल रहा है. बच्ची सचमुच परी थी.'
परी का परिवार पूरी तरह शोकग्रस्त है. उनका 3 साल का बच्चा अपनी छोटी बहन को वीडियो कॉल पर देखने को कहता रहता है. लेकिन उनके पिता के फोन में अब बस परी की तस्वीरें ही उसकी आखिरी यादें रह गई हैं.
बच्चों पर ज्यादा खतरा
बता दें कि डॉक्टरों और मेडिक्ल एक्सपर्ट्स लगातार कह रहे हैं कि कोरोना की दूसरी लहर में युवाओं पर ज्यादा खतरा है. इस लहर में मौतों की संख्या भी रिकॉर्ड तोड़ रही है. वहीं यह भी माना जा रहा है कि महामारी की तीसरी लहर बच्चों के लिए खतरनाक साबित होगी.
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नारायणा हेल्थ के चीफ और कार्डियक सर्जन डॉक्टर देवी शेट्टी ने NDTV से कहा कि 'इसकी संभावना है कि तीसरी लहर में वायरस ज्यादातर बच्चों को संक्रमित करेगा क्योंकि बड़े लोग तबतक या तो संक्रमित हो चुके होंगे या फिर उनमें प्रतिरोधक क्षमता आ चुकी होगी.'