राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने वर्ष 2020 में उत्तरपूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में शामिल 11 आरोपियों को बरी कर दिया. अदालत ने कहा कि आरोपी 'संदेह के लाभ' के हकदार हैं क्योंकि उनके खिलाफ आरोप ''उचित संदेह से परे'' साबित नहीं हुए.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला ने इन 11 आरोपियों के खिलाफ एक मुकदमे की सुनवाई की जिनपर दंगे के दौरान 24 फरवरी 2020 को गंगा विहार में एक संपत्ति को आग लगाने और चोरी करने वाले समूह में शामिल होने का आरोप था.
न्यायाधीश ने बुधवार को फैसला सुनाते हुए कहा, ''मैंने पाया कि इस मामले में आरोपी व्यक्तियों पर लगाए गये आरोपों को संदेह से परे साबित नहीं किया जा सका, जिसकी वजह से ये सभी संदेह के लाभ हकदार हैं. इसलिए आरोपी व्यक्तियों को उनपर लगे आरोपों से बरी किया जाता है.''
गोकलपुरी थाने में अंकित चौधरी उर्फ फौजी, सुमित उर्फ बादशाह, पप्पू, विजय, आशीष कुमार, सौरभ कौशिक, भूपेन्द्र, शक्ति सिंह, सचिन कुमार उर्फ रैंचो, राहुल और योगेश के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था.
अदालत ने कहा कि पुलिस के सिर्फ दो गवाहों सहायक उपनिरीक्षक जहांगीर और महेश ने ही आरोपियों की पहचान की जबकि तीन अन्य गवाहों ने अभियोजन पक्ष के मामले का समर्थन नहीं किया.
ये भी पढ़ें:-
मायावती ने उत्तर प्रदेश की जगह नागपुर से चुनाव अभियान की शुरुआत क्यों की?