दिल्ली (Delhi) के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने सोमवार को कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में 'गंभीर संवैधानिक संकट' पैदा हो गया है, क्योंकि अधिकारी कह रहे हैं कि वे बीजेपी की कथित 'धमकी और दबाव' के कारण काम नहीं करेंगे. अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा में अपने संबोधन के दौरान कहा कि यह समस्या दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा न मिलने से उत्पन्न हुई है और वास्तविक अधिकार केंद्र सरकार के पास है. केंद्र में एक अलग पार्टी की सरकार है और ''पार्टी नहीं चाहती है कि चुनी हुई सरकार (दिल्ली की) अपना काम करे.'' उन्होंने कहा कि पानी के बिलों में सुधार के लिए एकमुश्त समाधान योजना में कुछ अधिकारियों द्वारा ''बाधा'' डाली जा रही है. मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि भाजपा के दबाव के कारण अधिकारियों को पानी के बिलों में सुधार के लिए एकमुश्त समाधान योजना को रोकने की धमकी दी जा रही है. उन्होंने उपराज्यपाल वीके सक्सेना से योजना की मंजूरी के लिए अधिकारियों को बुलाने की अपील की और कहा कि इस 'अच्छी योजना' से 10.5 लाख परिवारों को फायदा होगा.
चंडीगढ़ में मेयर के इस्तीफा देने पर और AAP के 3 पार्षद AAP में शामिल होने से जुड़े सवाल पर अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मेयर के इस्तीफा देने से यह साफ हो गया है कि चुनाव में धांधली हुई हैं. चुनाव जीत नहीं पाए तो अब हमारे पार्षदों को खरीदा जा रहा है, तोड़ा जा रहा है.
दिल्ली में कांग्रेस के साथ सीट शेयरिंग के सवाल पर अरविंद केजरीवाल ने कहा कि बातचीत चल रही है, जैसे ही कुछ होता है, आपको बता दिया जाएगा.
दिल्ली के 10 लाख से ज्यादा वाटर कंज्यूमर्स को बिल में रियायत देने के सवाल पर उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के सामने संवैधानिक संकट है. सेक्रेटरी साफतौर पर फाइल पर यह लिखकर बता रहे हैं कि वह मंत्री के आदेश के बावजूद प्रपोजल को कैबिनेट के सामने नहीं आने देंगे. दिल्ली के उपराज्यपाल से हमने निवेदन किया है कि जल्द से जल्द इस पर कोई फैसला लिया जाए ताकि जल बोर्ड को जो आर्थिक नुकसान हो रहा है उसे रोका जाए और 40 परसेंट से ज्यादा यानी कि 10 लाख के आसपास वाटर कंज्यूमर्स को बिल में रियायत दिया जाए.
ED के समन पर अरविंद केजरीवाल ने कहा कि जो भी कानून संगत है, हम जवाब दे रहे हैं. अब तो उन्होंने (ED)कोर्ट में केस कर दिया है. कोई भी फ्रेश समन जारी करने से पहले ED को नतीजे का इंतजार करना चाहिए.