दिल्ली: CM अरविंद केजरीवाल ने सराय काले खां पर बने नए फ्लाईओवर का किया उद्घाटन, जाम से मिलेगा छुटकारा

अरविंद केजरीवाल ने दावा कि आज़ादी के बाद के 75 साल में दिल्ली में 102 फ़्लाइओवर और अंडर पास बने हैं, उनमें से 30 हमारी सरकार में बने हैं.

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नई दिल्ली:

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल  (Arvind Kejriwal) ने सराय काले खां पर बने नए फ्लाईओवर (Sarai Kale Khan Flyover) का उद्घाटन किया. इस दौरान सीएम केजरीवाल ने कहा कि सराय काले खां टी-जंक्शन पर जो जाम लगता था वो अब ख़त्म हो जाएगा. 620 मीटर के इस फ़्लाईओवर के लिए 66 करोड़ सैंक्शन हुए थे लेकिन हमने यह काम 50 करोड़ में पूरा कर दिया. इससे आईटीओ से आश्रम तक आने वालों को सहूलियत मिलेगी. 

आश्रम के पास लगने वाले जाम से मिलेगी राहत 
उन्होंने कहा कि आश्रम पर पहले बहुत जाम लगता था लेकिन अब पांच मिनट भी नहीं रुकना पड़ेगा. चंदगी राम अखाड़े से आश्रम, मूलचंद, धौला कुआं तक कोई रेड लाइट नहीं है. पूरी रिंग रोड अब रेड लाइट फ्री हो गई है. 

हम जाम वाले हर इलाक़े की स्टडी कर रहे हैं: केजरीवाल
सीएम केजरीवाल ने बताया कि हम जाम वाले हर इलाक़े की स्टडी कर रहे हैं कि कैस जाम मुक्त बनाया जा सकता है. आज़ादी के बाद के 75 साल में दिल्ली में 102 फ़्लाइओवर और अंडर पास बने हैं, उनमें से 30 हमारी सरकार में बने हैं. लगभग 25 फ़्लाइओवर और तैयार हो रहे हैं. 9 काम काम चल रहा है और 16 अप्रूवल के स्टेज पर हैं. इन सवा सौ फ़्लाइओवर में 50 फ़ीसदी हमारी सरकार के कार्यकाल में बने होंगे.

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दिल्ली सरकार का 30 फ़्लाइओवर बनाने में  557 करोड़ बचाने का दावा
देशभर में ऐसे कामों में स्टीमेट से ज़्यादा पैसे खर्च होते हैं. दिल्ली में ही रानी झांसी फ़्लाइओवर 30-40 करोड़ में बनना शुरू हुआ था लेकिन डेढ़ सौ करोड़ में बनकर शुरू हुआ. लेकिन हमारी सरकार में हम हर काम में पैसे बचाते हैं. हमने जो 30 फ़्लाइओवर बनाए हैं, उनमें 557 करोड़ बचाए हैं. यह गिनीज़ बुक में आना चाहिए.

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कल दिल्ली में लग्ज़री बसों की पॉलिसी की शुरुआत हुई
उन्होंने कहा, कई लोग मुझसे पूछते हैं कि पैसे कहां से आते हैं. पैसे यहीं से आते हैं. पहले जो पैसे उनकी जेबों में जाते थे अब हम बचाकर जनता के लिए काम करते हैं. देश भर में पीडब्ल्यूडी मतलब बेईमानी लेकिन दिल्ली में पीडब्ल्यूडी मतलब ईमानदारी है. हमारे काम में जितनी अड़चन लगाई जा रही है इसके बावजूद हम काम कर रहे हैं. स्पीड स्लो हो सकती है लेकिन काम ज़रूर होगा. उन्होंने बताया कि कम हमने एक लग्ज़री बसों की पॉलिसी की शुरुआत की है. यह 2016 में लागू होने वाली थी लेकिन अड़चन के कारण देरी हुई.
 

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