- दिल्ली के लाल किले के पास हुए कार ब्लास्ट में अमरोहा जिले के दो बचपन के दोस्त की मौत हो गई
- अशोक कुमार डीटीसी बस में कंडक्टर थे और पार्ट टाइम निजी स्कूल में चौकीदारी करते थे
- दोनों दोस्त लाल किले के पास मिलने गए थे जहां धमाके में उनकी मौके पर ही मौत हो गई
दिल्ली के लाल किले के पास हुए भीषण कार ब्लास्ट ने अमरोहा जिले के दो परिवारों की खुशियां छीन लीं. बचपन के साथी अशोक कुमार और लोकेश कुमार की एक साथ मौत ने पूरे हसनपुर क्षेत्र को गमगीन कर दिया है. दोनों की दोस्ती मिसाल थी एक ऐसा रिश्ता जो खून से नहीं, दिल से जुड़ा था. अशोक कुमार, मंगरोला गांव के निवासी, दिल्ली में डीटीसी बस में कंडक्टर थे और पार्ट टाइम एक निजी स्कूल में चौकीदारी भी करते थे. वहीं लोकेश कुमार, हसनपुर कस्बे में प्रॉपर्टी का काम करते थे. लोकेश दिल्ली अपने बीमार रिश्तेदार को देखने आए थे. अस्पताल से निकलने के बाद अशोक ने उन्हें फोन कर मिलने बुलाया. दोनों ने तय किया कि लाल किले के पास एक साथ खाना खाएंगे लेकिन किसे पता था कि यह मुलाकात उनकी आखिरी होगी.
जैसे ही दोनों लाल किले के पास पहुंचे, एक कार में जोरदार धमाका हुआ. धमाके की चपेट में आकर दोनों की मौके पर ही मौत हो गई. इस खबर ने उनके परिवारों को सदमे में डाल दिया. अशोक की मां हार्ट पेशेंट हैं, इसलिए परिवार ने उन्हें बेटे की मौत की खबर नहीं दी.अशोक के तीन बच्चे हैं और वह दिल्ली में किराए के मकान में रहते थे. लोकेश का शव पोस्टमार्टम के बाद हसनपुर पहुंच चुका है, और अशोक का शव भी जल्द ही गांव लाया जाएगा.
गांव के लोगों ने बताया कि दोनों की दोस्ती भाईचारे से भी बढ़कर थी. एक साथ जीने और एक साथ मरने की यह कहानी अब गांव की गलियों में दर्द बनकर गूंज रही है. परिवारों की मांग है कि इस धमाके के पीछे जो भी दोषी हैं, उन पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. इस हादसे ने न सिर्फ दो जिंदगियाँ छीनीं, बल्कि दो परिवारों की दुनिया उजाड़ दी.
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