- एनआईए ने जम्मू-कश्मीर के शोपियां से लाल किला ब्लास्ट का मास्टरमाइंड मौलवी इरफान अहमद वागे को गिरफ्तार किया
- मौलवी इरफान ने डॉक्टर मुजम्मिल, अदिल अहमद रठार और आरिफ निसार डार को आतंकवाद की राह पर ले जाने का खुलासा किया
- मौलवी इरफान बातचीत, सोशल मीडिया और मस्जिद में लोगों का चयन कर उन्हें आतंकवादी मॉड्यूल में शामिल करता था
Delhi Blast Case: दिल्ली लाल किला ब्लास्ट का सुसाइड बॉम्बर उमर बिन, मामले में गिरफ्तार डॉ. मुजम्मिल, डॉ. अदिल अहमद रठार, डॉ. आरिफ निसार डार, जिस एक कड़ी से जुड़े हैं, वो है मौलवी इरफान अहमद वागे. यही वो शख्स है, जो डॉक्टरों को आतंकवाद के रास्ते पर ले गया. लाल किला ब्लास्ट का मास्टरमाइंड मौलवी इरफान ही है. पुलिस ने मौलवी इरफान को जम्मू-कश्मीर के शोपियां की मस्जिद से एनआईए गिरफ्तार किया है. एनआईए की पूछताछ में मौलवी इरफान ने कई चौंकानेवाले खुलासे किये हैं. मौलवी इरफान ने पूछताछ में बताया कि कैसे उनसे डॉ. मुज़म्मिल समेत अन्य डॉक्टरों को आतंकवादी बना दिया. आम लोगों को आतंकवाद की राह पर धकेलने के लिए मौलवी इरफान स्टेप-बाय-स्टेप चलता था. आइए आपको बताते हैं कि मौलाना इरफान कैसे किसी आम इंसान का ब्रेन वॉश कर खतरनाक आतंकी बना देता था.
स्टेप-1: बातचीत कर टटोलना
मौलवी इरफान का पहला स्टेप होता था, बातचीत शुरू कर लोगों को टटोलना और संभावना नजर आए, तो संबंध बनाना. बातचीत के दौरान मौलवी इरफान धार्मिक चर्चा कर सामने वाले शख्स की रुचि भांपता था. देखता था कि उसका झुकाव किस ओर है. अगर मौलवी इरफान को लगता कि सामने वाला रुचि दिखा रहा है, तो वह उससे संबंध बनाने की ओर बढ़ने लगता था. डॉक्टर मुजम्मिल के साथ भी मौलवी इरफान ने कुछ ऐसा ही किया था. मुजम्मिल से मौलवी इरफान की मुलाकात एक अस्पताल में हुई थी. मौलवी इरफान एक मरीज के साथ अस्पताल आया था. इस दौरान डॉक्टर और मरीज के रिश्ते की शुरुआत जल्द ही वैचारिक जुड़ाव में बदल गई. मौलवी इरफान ने जल्द ही मुजम्मिल का ब्रेनवॉश कर दिया और उसे एक खतरनाक आतंकी बना दिया, जिसने आतंकी मॉड्यूल को खड़ा कर दिया.
स्टेप-2: सोशल मीडिया पोस्ट्स की पड़ताल
मौलाना इरफान सोशल मीडिया पोस्ट्स के जरिए भी लोगों तक पहुंचता था. वह सोशल मीडिया पोस्ट्स की पड़ताल कर ऐसे लोगों की तलाश में रहता था, जिनमें धार्मिक कट्टरपंथ की राह पर जाने की संभावना नजर आती थी. वह कुछ खास विचारों वाले लोगों की पहचान करने के लिए सोशल मीडिया प्रोफाइल्स की पड़ताल करता रहता था. अगर उन्हें लगता कि कोई व्यक्ति अलगाववादी या अतिवादी विचारधारा रखता है, तो उससे बातचीत के जरिए धार्मिक सामग्री शेर करता था. कुछ ऐसा ही मौलवी इरफान ने डॉ. अदील के मामले में किया और अंततः उसे इस आतंकवादी मॉड्यूल का हिस्सा बना दिया.
स्टेप-3: मस्जिद में कितनी उपस्थिति
मस्जिद में भी मौलाना इरफान ऐसे लोगों की तलाश में रहता था, जिन्हें आसानी से आतंकवाद की राह पर ले जाया जा सके. वह कथित तौर पर संभावित भर्तियों की पहचान उन लोगों पर नज़र रखकर करता था, जो अक्सर मस्जिद जाते थे या नमाज़ अदा करते थे. ऐसे लोगों से मौलाना इरफान बातचीत शुरू करता और अंततः उन्हें एक आतंकी मॉड्यूल में शामिल कर लेता. उसने ऐसा तब किया, जब उसे डॉ. अदील से जसीर अहमद के बारे में पता चला. वानी उर्फ दानिश ज़्यादातर समय मस्जिद में बिताता था.
मौलाना इरफान का पाकिस्तान कनेक्शन
मौलाना इरफान का पाकिस्तान कनेक्शन भी सामने आ गया है. डिजिटल फ़ुटप्रिंट्स ने मौलाना इरफान के जैश हैंडलर हंजुल्ला से संबंधों का खुलासा किया है, जो पाकिस्तान से काम करता है. उसकी गतिविधियां कथित तौर पर एक पाकिस्तानी जैश हैंडलर, हंजुल्ला और स्थानीय जैश आतंकवादियों से जुड़ी थीं, जिन्होंने डॉ. मुजम्मिल को दो एके राइफलें मुहैया कराई थीं. एक राइफल मुजम्मिल के अस्पताल के लॉकर से बरामद की गई, जबकि दूसरी शाहीना की कार से बरामद की गई.
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