- डॉ. शाहीन सईद को लाल किले पर हुए धमाके से जुड़े मामले में कथित भूमिका के आरोप में गिरफ्तार किया गया है.
- डॉ. सईद पर जमात-उल-मोमिनात की भारत शाखा का नेतृत्व और जैश की महिला भर्ती शाखा स्थापित करने का आरोप है
- डॉ. सईद के परिवार के सदस्यों ने कहा कि उनके साथ कभी संदिग्ध गतिविधियों का कोई संकेत नहीं मिला
लखनऊ के घनी आबादी वाले डालीगंज इलाके की एक संकरी गली में स्थित सैय्यद अहमद अंसारी का घर तब से चर्चा का विषय बना हुआ है, जब से खबर आई है कि उनकी बेटी डॉ. शाहीन सईद को करीब 550 किलोमीटर दूर नई दिल्ली में हुए एक शक्तिशाली धमाके और जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े एक आतंकी मॉड्यूल से कथित संबंधों के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. राष्ट्रीय राजधानी में लाल किले पर हुए धमाके में कम से कम नौ लोगों की मौत हो गई और करीब एक दर्जन लोग घायल हुए हैं. इस घटना के दो दिन बाद भी डॉक्टर के परिवार को अब भी विश्वास नहीं हो रहा है कि उनकी बेटी इस तरह के किसी मामले में शामिल हो सकती हैं. डॉ. शाहीन सईद का बड़ा भाई, पिता और पूर्व पति, सभी इस बात पर जोर देते हैं कि ऐसा जरा भी संकेत नहीं मिला कि वह किसी भी गैरकानूनी चीज से जुड़ी हो सकती हैं.
डॉ. सईद पर भारत में पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद (Jaish-e-Mohammed) की महिला भर्ती शाखा स्थापित करने के लिए काम करने का आरोप है.
Photo Credit: Dr Saeed in an undated photograph.
दिल्ली के पास फरीदाबाद में किराए के दो कमरों से 2,900 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री मिलने के बाद डॉ. सईद को गिरफ्तार किया गया था. ये कमरे डॉ. मुजम्मिल गनई के थे, जो एक कश्मीरी डॉक्टर और अल-फलाह विश्वविद्यालय में सह-संकाय सदस्य हैं, जहां डॉ. सईद काम करती थी.
सूत्रों के अनुसार, गनई को मुसैब के नाम से भी जाना जाता है. यह जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवत-उल-हिंद जैसे आतंकी संगठनों से जुड़े एक "सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल" का हिस्सा था. फरीदाबाद में पंजीकृत डॉ. सईद की मारुति सुजुकी स्विफ्ट कार की तलाशी में कथित तौर पर एक असॉल्ट राइफल, एक पिस्तौल और गोला-बारूद बरामद हुआ. सूत्रों के अनुसार, वह गनई के निकट संपर्क में थी और उसे जमात-उल-मोमिनात (जेईएम की महिला शाखा) की भारत शाखा का प्रभार दिया गया था, जिसका नेतृत्व पाकिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर की बहन सादिया अजहर करती है.
डॉ. सईद के परिवार ने क्या बताया?
लखनऊ में डॉ. सईद के बड़े भाई मोहम्मद शोएब ने बताया कि पुलिस और एटीएस अधिकारी उनके घर आए थे, लेकिन उनके साथ शिष्टाचार से पेश आए. समाचार एजेंसी पीटीआई के हवाले से उन्होंने कहा, "उन्होंने घर की तलाशी ली और सामान्य तरीके से सवाल पूछे, ठीक वैसे ही जैसे आप अभी मुझसे पूछ रहे हैं." उन्होंने आगे कहा, "न तो मेरे पिता और न ही मेरे साथ कोई बुरा व्यवहार किया गया. हमें कुछ भी कहने के लिए कोई दबाव या जबरदस्ती नहीं की गई. उन्होंने सिर्फ तब के बारे में पूछा जब मेरी बहन ने हमसे मिलना बंद कर दिया."
उन्होंने आगे बताया कि भाई-बहनों ने चार साल से बात नहीं की है. साथ ही कहा, "हमारा कोई संपर्क नहीं है. हमारी आखिरी बार बात हुए चार साल हो गए हैं." हालांकि उनके माता-पिता कभी-कभार उनका हालचाल पूछते थे. उन्होंने कहा, "माता-पिता स्वाभाविक रूप से अपने बच्चों को फोन करके पूछते हैं कि वे कैसे हैं. मैं उनका बड़ा भाई हूं, जाहिर है मुझे भी उनकी चिंता होगी. क्या यह सामान्य नहीं है?"
शोएब ने कहा कि वह लखनऊ के बाहरी इलाके में आईआईएम रोड के पास उनके घर कभी नहीं गए.
डॉ. सईद के पिता, सैयद अहमद अंसारी ने भी उनके भाई की तरह ही इस अविश्वास को दोहराया.
समाचार एजेंसी आईएएनएस के हवाले से उन्होंने कहा, "मुझे यकीन नहीं हो रहा कि मेरी बेटी ऐसी गतिविधियों में शामिल थी." अंसारी ने बताया कि डॉ. सईद ने इलाहाबाद में मेडिकल की पढ़ाई की और बाद में फरीदाबाद में काम किया.
उन्होंने याद किया कि डॉ. सईद की शादी महाराष्ट्र के एक व्यक्ति से हुई थी और बाद में उनका तलाक हो गया था.
पूर्व पति ने ने भी खोले राज?
करीब 90 किलोमीटर दूर कानपुर में क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने डॉ. सईद के पूर्व पति डॉ. जफर हयात से पूछताछ की. डॉ. हयात ने कहा कि उन्हें शाहीन की गिरफ्तारी के बारे में मंगलवार शाम को ही पता चला.
उन्होंने कहा, "हमारी शादी नवंबर 2003 में हुई थी और हम दोनों अलग-अलग मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे, मैं उनसे सीनियर था." "हमारा तलाक 2012 के अंत में हुआ था. मुझे नहीं पता कि उसके मन में क्या चल रहा था जिसके कारण यह हुआ. हमारे बीच कभी कोई विवाद या झगड़ा नहीं हुआ. वह एक प्यारी और देखभाल करने वाली इंसान थी. मुझे कभी अंदाजा नहीं था कि वह ऐसी गतिविधियों में शामिल हो सकती है. वह अपने परिवार और बच्चों से बहुत जुड़ी हुई थी, उनसे बेहद प्यार करती थी और उनकी पढ़ाई का ध्यान रखती थी."
अपने साथ बिताए सालों को याद करते हुए डॉ. हयात ने कहा कि डॉ. सईद ने अपनी शादी के अलावा कभी बुर्का नहीं पहना.
कानपुर के पुलिस आयुक्त रघुबीर लाल ने पुष्टि की कि दिल्ली विस्फोट के बाद मिली खुफिया जानकारी के आधार पर अपराध शाखा ने डॉ. हयात से पूछताछ की. अपराध शाखा ने उनके रिकॉर्ड की जांच करने के लिए गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल (GSVM) मेडिकल कॉलेज का भी दौरा किया, जहां डॉ. सईद कभी पढ़ाती थीं.
जांचकर्ताओं ने क्या कहा?
जांचकर्ताओं का कहना है कि डॉ. सईद 2013 में बिना किसी सूचना के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में अपने पद से गायब हो गईं, जिसके कारण 2021 में उन्हें बर्खास्त कर दिया गया. उनका आरोप है कि अल फलाह विश्वविद्यालय में शामिल होने के बाद वह डॉ. गनई और दो अन्य डॉक्टरों के संपर्क में आईं, जो अब फरीदाबाद विस्फोटक मामले में गिरफ्तार हैं. जम्मू-कश्मीर के पुलवामा की मूल निवासी डॉ. गनई का नाम पहले ही जैश-ए-मोहम्मद के समर्थन वाले पोस्टर प्रदर्शित करने के आरोप में जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक मामले में दर्ज किया जा चुका है.
उससे पूछताछ के बाद 2,900 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट, टाइमर और डेटोनेटर जब्त किए गए.
खुफिया एजेंसियों ने इस मामले को ऑपरेशन सिंदूर के बाद जैश-ए-मोहम्मद द्वारा अपने नेटवर्क को फिर से बनाने की कोशिश से जोड़ा है, जिसमें मई में मसूद अजहर की बहन सादिया के पति यूसुफ अजहर सहित जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख सदस्य मारे गए थे. जैश-ए-मोहम्मद ने अक्टूबर में बहावलपुर में अपनी महिला इकाई, जमात-उल-मोमिनात के गठन की औपचारिक घोषणा की थी, जिसमें बहावलपुर, कराची, मुजफ्फराबाद, कोटली, हरिपुर और मनसेहरा में भर्ती की खबरें थीं. अधिकारियों का आरोप है कि डॉ. सईद अपनी चिकित्सा योग्यता और शैक्षणिक अनुभव के साथ भारत में भी इसी मॉडल को दोहराने वाली थीं.














