AIIMS Ransomware Attack: एम्स में लगे सभी कंप्यूटर को किया जाएगा फॉर्मेट, 2 कर्मचारी सस्पेंड

सर्वर हैक करने के 6 दिन बाद आखिरकार हैकर्स ने मंशा जाहिर कर दी है. हैकर्स ने सर्वर रिलीज करने के बदले 200 करोड़ रुपये की फिरौती मांगी है. हैकर्स यह पैसा भारतीय करेंसी या अमेरिकी डॉलर्स में नहीं बल्कि वर्चुअल क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) में लेना चाहते हैं, ताकि उन्हें ट्रेस नहीं किया जा सके

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प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली:

दिल्ली के अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान (AIIMS) में हुए साइबर अटैक (AIIMS Cyber Attack) मामले में 2 कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया गया है. ये दोनों सिस्टम एनालिस्ट हैं. दोनों को पहले कारण बताओ नोटिस दिया गया था. जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर एम्स प्रशासन ने दोनों को सस्पेंड कर दिया है. इस बीच एम्स के 50 में से 30 सर्वर में एंटी वायरस डालकर स्कैन किया जा चुका है. एम्स में 5000 कंप्यूटर हैं. उसमे से अभी करीब 2000 कंप्यूटरों की स्कैनिंग हो पाई है. 

इसके मद्देनजर एम्स प्रशासन ने सभी विभागाध्यक्षों व सभी सेंटरों के प्रमुख को आदेश दिया है कि वे कंप्यूटर से बैकअप डाटा अलग हार्ड डिस्क में ले लें.इस सप्ताह सभी कंप्यूटर को फॉर्मेट कर लिया जाएगा. बता दें कि एम्स के कंप्यूटर्स पर रैनसमवेयर (Ransomware) नाम का साइबर अटैक हुआ था. एम्स में करीब 5 हजार कंप्यूटर सिस्टम और 50 सर्वर हैं.

सर्वर हैक करने के 6 दिन बाद आखिरकार हैकर्स ने मंशा जाहिर कर दी है. हैकर्स ने सर्वर रिलीज करने के बदले 200 करोड़ रुपये की फिरौती मांगी है. हैकर्स यह पैसा भारतीय करेंसी या अमेरिकी डॉलर्स में नहीं बल्कि वर्चुअल क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) में लेना चाहते हैं, ताकि उन्हें ट्रेस नहीं किया जा सके. PTI ने एक सूत्र के हवाले से यह रिपोर्ट दी है. दिल्ली पुलिस और CERT-IN के एक्सपर्ट्स के साथ ही इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रेटेजिक ऑपरेशंस (IFSO) डिविजन ने इस मामले में फिरौती का मुकदमा दर्ज कर लिया है.

रैनसमवेयर अटैक के बाद ही सर्वर व कंप्यूटर को स्कैन करने का काम शुरू कर दिया गया था. 23 नवंबर से एम्स दिल्ली में ऑनलाइन सर्विसेज बाधित है. तमाम सर्विसेज ऑफलाइन ( मैनुअल) मोड में है. ऐसे में मैनुअल मोड में काम को वाले कर्मचारियों की तादाद भी बढ़ाई गई है, ताकि इलाज के लिए दूर-दूर से आ रहे मरीजों को दिक्कत न हो.

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दिल्ली एम्स का सर्वर 23 नवंबर की सुबह 6.45 मिनट पर हैक किया गया था. सबसे पहले इमरजेंसी लैब के कंप्यूटर सेंटर में यह बात पकड़ में आई. इसके बाद धीरे-धीरे अस्पताल के पूरे कंप्यूटराइज्ड सिस्टम का सर्वर ही रैनसमवेयर अटैक के जरिये हैकर्स ने अपने कब्जे में कर लिया. इसके बाद से सर्वर की सफाई कर उसे हैकर्स के चंगुल से छुड़ाने की कोशिश की जा रही है. एकतरफ दिल्ली पुलिस इस हैकिंग की जांच कर रही है तो दूसरी तरफ, इंडिया कंप्यूटर इमरजेंसी टीम (CERT-IN) के एक्सपर्ट्स ऑनलाइन तरीके से हैकर्स से निपटने की कोशिश कर रहे हैं. एम्स में प्रति साल 38 लाख मरीज इलाज करवाते हैं. इस साइबर अटैक से मरीजों की डाटा चोरी होने की आशंका है.

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रैनसमवेयर कैसे फैलता है?
रैनसमवेयर असल में स्पैम या फिंशिंग के जरिए होता है. इसमें हैकर आपको एक लिंक भेजता है और उसपर क्लिक करने को कहता है. जैसे ही आप लिंक पर क्लिक करते हैं, आप एक फर्जी वेबपेज पर पहुंच जाते हैं. यहां आपको कोई न कोई ऐप या सॉफ्टवेयर डाउनलोड करने को कहा जाता है. जो असल में एक रैनसमवेयर ही होता है. जैसे ही आप इसे डाउनलोड करते हैं, ये आपके सिस्टम, लैपटॉप या स्मार्टफोन पर पूरा कंट्रोल कर लेता है.

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इस साइबर अटैक के लिए ईमेल का खूब इस्तेमाल होता है. इसके जरिए ईमेल अटैचमेंट के रूप में एक कमांड प्रोग्राम भेजा जाता है. जैसे ही आप इसपर क्लिक करते हैं, ये आपके सिस्टम में इंस्टॉल हो जाता है. इसमें आपका क्लिक एक कमांड का काम करता है. फिर रैनसमवेयर आपके सिस्टम में घुसकर उसे लॉक कर देता है. फिर आप चाहकर भी अपने सिस्टम या डिवाइस के साथ कुछ नहीं कर सकते. सबकुछ हैकर ही कंट्रोल करता है.

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