रक्षा मंत्रालय ने ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड को भंग कर दिया है. 1 अक्टूबर से उसकी जगह सात सरकारी डीपीएसयूएस ले लेंगी. रक्षा मंत्रालय ने 28 सितंबर को अपने आदेश में कहा कि 41 ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियों के प्रंबधन, नियंत्रण ऑपरेशंस और मेंटेनेंस इन सात कंपनियों को ट्रांसफर करने का फैसला किया गया है. अब इन्हें डीपीएसयूएस का नाम दिया गया है. ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में कर्मचारियों की नुमाइंदगी करने वाले भाजपा व आरएसएस से जुड़े श्रम संगठन भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ और लेफ्ट से जुड़े ऑल इंडिया डिफेंस एम्प्लाइज फेडरेशन सोमवार को निगमीकरण के विरोध में काला दिवस मनायेंगे और अपने लंच का बहिष्कार करेंगे.
इन दोनों संगठनों ने सरकार के खिलाफ दिल्ली और मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दायर कर रखी है. इनके मुताबिक, सरकार ने संसद के जरिये कानून बनाकर ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड को भंग करने का काम किया है, वो ना तो कर्मचारियों के पक्ष में है और ना ही देश की सुरक्षा के हित में है. कानून के मुताबिक, अब ये फैक्ट्री में हड़ताल नहीं कर सकते हैं और ना ही उकसा सकते हैं. ऐसा करने पर जेल के साथ जुर्माना भी लग सकता है. सरकार इसके जरिये इन कंपनियों को प्राइवेट कंपनियों को बेचना चाहती है. सेना के लिये हथियार और गोला बारूद बनाने वाले इन कारखानों में करीब 74 हजार कर्मचारी काम करते हैं, जो अपने नौकरी को लेकर संशय में हैं.