रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह छह जुलाई को नई दिल्ली में रक्षा मंत्रालय के एक दिवसीय 'चिंतन शिविर' की अध्यक्षता करेंगे. पिछले महीने रक्षा विभाग, रक्षा उत्पादन विभाग, सैन्य मामलों के विभाग, पूर्व सैनिक कल्याण विभाग और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने अलग-अलग विचार-विमर्श सत्र आयोजित किए थे, जिसमें उन्होंने महत्वपूर्ण मुद्दों और अपनी उत्पादकता बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की थी. विभागों ने कई विषयों की पहचान की थी, जिन पर प्रख्यात विषय विशेषज्ञों ने अधिकारियों को संबोधित किया और अपनी अंतर्दृष्टि साझा की.
रक्षा मंत्री विचार-मंथन सत्रों की उपलब्धियों की समीक्षा करेंगे और इन विचार-विमर्शों से उत्पन्न सिफारिशों को लागू करने के तरीकों पर चर्चा करेंगे. रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट, रक्षा प्रमुख जनरल अनिल चौहान, थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे, रक्षा सचिव गिरिधर अरामने और रक्षा मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी दिनभर चलने वाली इस बैठक में भाग लेंगे.
सत्रों के दौरान विभिन्न विषयों पर विचार विमर्श किया गया:
रक्षा विभाग
राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए साइबर सुरक्षा चुनौतियां
राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए व्यापक दृष्टिकोण
निष्पादन लेखा परीक्षा
सैनिक स्कूल शिक्षा प्रणाली
रक्षा अधिग्रहण में क्षमता निर्माण
रक्षा उत्पादन विभाग
उत्पादन और रक्षा निर्यात में वृद्धि
आत्मनिर्भरता बढ़ाना: स्वदेशीकरण के लिए आगे का रास्ता
औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र और कुशल कार्यबल
लेवल प्लेइंग फील्ड को बढ़ाना
गुणवत्ता सुधार
सैन्य मामलों के विभाग
मानव संसाधन पहलुओं को एकीकृत और अनुकूलित करना
अधिक तालमेल प्राप्त करने की दिशा में प्रशिक्षण और परिचालन संबंधी मुद्दे
सामरिक क्षेत्र के क्षेत्र में सशस्त्र बलों का आधुनिकीकरण और क्षमता वृद्धि
औपनिवेशिक प्रथाओं और अप्रचलित कानूनों की पहचान करने और समाप्त करने के उपाय
सशस्त्र बलों के कामकाज में देश के अपने लोकाचार और प्रथाओं को शामिल करना
पूर्व सैनिक कल्याण विभाग
पूर्व सैनिकों के लिए बेहतर पेंशन सेवाओं और अन्य कल्याणकारी उपायों के लिए स्पर्श का लाभ उठाना
पूर्व सैनिकों द्वारा सूक्ष्म उद्यमों की शुरुआत के लिए रोजगार और उद्यमिता को बढ़ावा देकर पूर्व सैनिकों का पुनर्वास
पूर्व सैनिकों की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन
डीआरडीओ - अकादमिक साझेदारी: अवसर और चुनौतियां
रक्षा अनुसंधान एवं विकास के साथ उद्योग को एकीकृत करना
उद्योग और शिक्षा के भीतर रक्षा अनुसंधान एवं विकास को प्रेरित करना