पूर्वी लद्दाख में करीब 11 महीने से चीन के साथ जारी तनातनी के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वायुसेना की भूमिका की सराहना की. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह वायुसेना के कमांडर्स कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन करते हुए सराहना कर रहे थे. उन्होंने कहा कि वायुसेना ने सही समय पर उचित जवाब दिया है. दिल्ली के वायुसेना भवन में तीन दिन तक चलने वाले कमांडर्स कॉन्फ्रेंस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान वायुसेना ने जिस तरह सरकार की मदद की, वह काबिले तारीफ है. राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर विजन को रक्षा क्षेत्र के बुनियादी ढ़ांचे में आगे बढ़ाने की बात कही.
रक्षा मंत्री ने वायुसेना को भविष्य की आने वाली चुनौतियों को ध्यान में रखकर अपनी रणनीति बनाने की सलाह दी. इस कॉन्फ्रेंस में सीडीएस जनरल बिपिन रावत, वायुसेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल आर के एस भदौरिया समेत वायुसेना के टॉप कमांडर मौजूद थे. अगले दो दिनों में वायुसेना की सामरिक रणनीति के साथ साथ उन नीतियों पर चर्चा होगी, जिससे वायुसेना दुश्मन पर भारी पड़ सके. पिछले साल भी जब चीन के साथ लाइन ऑफ कंट्रोल पर हालात बिगड़े थे तो वायुसेना ने अपने लड़ाकू विमान सीमा पर तैनात किये थे.
ट्रांसपोर्ट विमान और हेलीकॉप्टर की मदद से वायुसेना ने थल सेना के जवानों को बहुत तेजी से बॉर्डर पर पहुंचाया था. इतना ही नहीं रफाल, मिग-29 और तेजस के सरहद पर लगातार उड़ान भरने से चीन काफी हद तक दबाव में आ गया. अब चीन के साथ 11वें दौर की कोर कमांडर लेवल पर बातचीत खत्म हो चुकी है, लेकिन चीन की सेना गोगरा, हॉट स्प्रिंग और देपसांग जैसे इलाकों से पीछे हटने में आनाकानी कर रहा है. ऐसे में फिर से चीन से लगी सीमा पर हालात कब चिंताजनक हो जाए यह कहा नहीं जा सकता है, अगर चीन के साथ हालात और बिगड़ते हैं तो थल सेना के साथ के साथ वायुसेना की भूमिका काफी अहम हो जाएगी.
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