भीमा कोरेगांव हिंसा और अर्बन नक्सल मामले में नया खुलासा हुआ है.आरोपियों के वकील ने दावा किया है कि आरोपियों में से एक रोना विल्सन के लैपटॉप से बरामद साजिश के मेल खुद उन्होंने नही लिखे थे बल्कि प्लांट करवाया गया था.वकील मिहिर देसाई के मुताबिक पुणे कोर्ट के आदेश पर मिले हार्ड डिस्क के क्लोन को अमेरिका के अर्सनाल डिजिटल फोरेंसिक लैब भेजा गया था. वकील ने कहा है कि रोना विल्सन के कंप्यूटर में 22 महीने तक छेड़छाड़ की गई थी.अर्सनाल की रिपोर्ट कल आयी है और उसमें लिखा है कि सभी 10 के 10 पत्र मालवेयर के जरिये प्लांट किये गए थे.
बचाव पक्ष का कहना है इस रिपोर्ट के मिलने के बाद ये साबित हो गया है कि सबकुछ साजिश के तहत किया गया था.
इसलिए अब बॉम्बे हाई कोर्ट में अर्जी देकर मामला खारिज करने की मांग की है. वकील ने NDTV से बात करते हुए कहा कि कथित साइबर हमलावर के पास व्यापक संसाधन और समय था.हमलावर का पहला लक्ष्य निगरानी और संदिग्ध दस्तावेजों की डिलीवरी करनी थी.
साइबर हमलावर एक ऐसे अहम मालवेयर इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़ा हुआ है, जो लगभग 4 सालों से सक्रिय था.जो ना सिर्फ रोना विल्सन के कंप्यूटर पर हमला करने के लिए, बल्कि एल्गार परिषद मामले में उसके सह-अभियुक्तों के कंप्यूटरों पर हमला करने के काम में भी लगा था.इसके अलावां कुछ और हाई प्रोफाइल केस के आरोपियों के कम्प्यूटर भी निशाने पर थे.आर्सेनल ने दावा किया है कि ये अब तक के ऐसे सबसे गंभीर मामलों में से एक है जिसकी छानबीन आर्सेनल ने की है.
विल्सन के कंप्यूटर पर 13 जून 2016 को मालवेयर हमला किया गया था.उस समय सह आरोपी वरवारा राव के अकॉउंट का इस्तेमाल कर रोना विल्सन को संदिग्ध ईमेल भेजे गए थे. उन ईमेलों में, वीवी राव के खाते का उपयोग करने वाले व्यक्ति ने विल्सन को एक विशिष्ट दस्तावेज खोलने के लिए कई बार कोशिश की थी.आखिर में जब विल्सन ने उस लिंक को खोला तो मालवेयर को विल्सन के लैपटॉप में घुसपैठ का मौका मिल गया.निगरानी करने और फ़ाइलों को भेजने के मामले में साइबर हमलावर ने WinSCP जैसे अन्य टूल का इस्तेमाल किया था.
विल्सन की फाइलों को अपने कंप्यूटर और C2 सर्वर से संलग्न उपकरणों के बीच सिंक्रनाइज़ करने काम किया गया था. विल्सन के कंप्यूटर में Microsoft Word 2007 था. लेकिन कथित तौर पर उनके द्वारा लिखे गए कुछ दस्तावेज़ MS 2010 और MS 2013 तक के PDF फॉर्मेट में थे.ऐसा कोई सबूत नहीं मिला जिससे यह पता चले कि उन 10 संदिग्ध दस्तावेजों या छिपे हुए फ़ोल्डरों में से किसी को कभी भी खोला गया था.