भारत पिछले साल रक्षा पर सबसे अधिक खर्च करने वाला दुनिया का चौथा देश रहा. भारत ने वर्ष 2021 के मुकाबले वर्ष 2022 में छह प्रतिशत अधिक राशि खर्च की. यह जानकारी स्वीडिश थिंक टैंक ‘स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट' (SIPRI) ने अपनी रिपोर्ट में दी है.
सैन्य व्यय रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने कुल रक्षा बजट की करीब 23 प्रतिशत राशि उपकरणों और अवसंरचना विकास पर व्यय की जिसमें चीन से लगती सीमा पर व्यय शामिल है जहां पर पड़ोसी देश के साथ तनाव चल रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक भारत के रक्षा बजट का अधिकतर हिस्सा वेतन और पेंशन पर व्यय हुआ.
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने वर्ष 2022 में कुल 81.4 अरब डॉलर की राशि रक्षा पर खर्च की जो वर्ष 2021 के मुकाबले छह प्रतिशत और वर्ष 2013 के मुकाबले 47 प्रतिशत अधिक है. सोमवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘भारत के रक्षा बजट में वृद्धि चीन और पाकिस्तान के साथ लगती सीमा पर मौजूद तनाव को प्रतिबिंबित करती है.''
रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2022 के दौरान दुनिया भर में रक्षा पर होने वाले खर्च में अकेले अमेरिका की हिस्सेदारी 39 प्रतिशत है. इसके बाद 13 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ चीन का स्थान आता है. रूस, भारत और सऊदी अरब क्रमश: 3.9 प्रतिशत, 3.6 प्रतिशत और 3.3 प्रतिशत रक्षा व्यय के साथ तीसरे, चौथे और पांचवे स्थान पर हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2022 में विश्व के रक्षा व्यय में 63 प्रतिशत हिस्सेदारी शीर्ष पांच देशों की है. सिपरी के मुताबिक वर्ष 2022 में सबसे बड़े 15 व्ययकर्ता देशों की विश्व सैन्य खर्च में हिस्सेदारी 82 प्रतिशत है तथा यह खर्च 1,842 अरब डॉलर है. रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2022 में विश्व सैन्य व्यय में 3.7 प्रतिशत की वृद्धि के साथ यह 2,240 अरब डॉलर हो गई है. यूरोप में कम से कम 30 साल में सैन्य व्यय में सबसे तेजी से वृद्धि हुई है.
गौरतलब है कि वर्ष 2021 में भारत 76.6 अरब डॉलर सैन्य व्यय के साथ, रक्षा क्षेत्र पर खर्च के मामले में तीसरा देश था जबकि वर्ष 2016 में वह 55.9 अरब डॉलर के साथ पांचवा सबसे अधिक सैन्य व्यय करने वाला देश था.