ऑपरेशन सिन्दूर के बाद पहली बार आमने-सामने होंगे भारत और पाकिस्तान के रक्षा मंत्री

भारत और पाकिस्तान के बीच आपसी रिश्ते पहले से खराब रहे हैं. उस पर पहलगाम आतंकी हमले के बाद तो आपसी संबंध और भी खराब हो गए. भारत ने पाकिस्तान के साथ सारे राजनयिक रिश्ते तोड़ लिए.

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ऑपरेशन सिन्दूर के बाद पहली बार भारत और पाकिस्तान के रक्षा मंत्री आमने-सामने होंगे . रक्षामंत्री राजनाथ सिंह बुधवार सुबह चीन के लिए निकल रहे हैं. वह 25 और 26 तारीख को चीन के किंगदाओ में होने वाली शंघाई सहयोग संगठन के रक्षा मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेंगे. इस संगठन में भारत के अलावा चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, ईरान, रूस और पाकिस्तान शामिल है. एससीओ की बैठक के दौरान कई देश द्विपक्षीय मुलाकात भी करेंगे. ऐसे में सबकी निगाहें होंगी, भारत और पाकिस्तान के रक्षा मंत्रियों पर. कारण ऑपरेशन सिंदूर के बाद ये पहला मौका होगा, जब दोनों देशों के रक्षा मंत्री एक मंच पर एक साथ होंगे, हालांकि, इसकी संभावना बेहद कम है कि दोनों देशों के मंत्री एक-दूसरे से मुलाकात करें.

भारत और पाकिस्तान के बीच आपसी रिश्ते पहले से खराब रहे हैं. उस पर पहलगाम आतंकी हमले के बाद तो आपसी संबंध और भी खराब हो गए. भारत ने पाकिस्तान के साथ सारे राजनयिक रिश्ते तोड़ लिए. ऑपरेशन सिंदूर के तहत कार्रवाई करते हुए भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में मौजूद उन नौ आतंकी ठिकानों पर हमले किए, जहां भारत के खिलाफ आतंकी साजिश रची गई थी. पाकिस्तान ने एक बार फिर हिमाकत करते हुए भारतीय सेना और नागरिक ठिकानों पर हमले किए. जवाब में भारत ने भी पलटवार किया और पाकिस्तान को ऐसा सबक सिखाया कि वह कभी भूल नहीं पाएगा. भारत ने साफतौर पर कह दिया कि अब अगर पाकिस्तान से बात होगी तो केवल आतंकवाद और पीओके पर होगी जिस पार पाक ने अवैध कब्जा कर लिया है.

रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि एससीओ बैठक में रक्षा मंत्री वैश्विक शांति और सुरक्षा पर भारत का दृष्टिकोण पेश करेंगे. रक्षामंत्री आतंकवाद के पूरी तरह खात्मे के लिए जरूरी सामूहिक प्रयासों पर बल देने के अलावा, एससीओ के भीतर व्यापार, आर्थिक सहयोग और संपर्क को बढ़ावा देने की वकालत करेंगे. एससीओ बैठक के इतर, रक्षा मंत्री चीन और रूस के रक्षा मंत्रियों से अलग से बात करेंगे यानी इस बार भी भारत और पाकिस्तान के रक्षा मंत्रियों के बीच आपसी बातचीत होने की संभावना न के बराबर है.

आपको बता दें कि शंघाई सहयोग संगठन की स्थापना साल  2001 में  हुई थी. इस संगठन का मकसद है सदस्य देशों के बीच राजनीतिक, आर्थिक, सुरक्षा और सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा देना. भारत 2017 में इसका पूर्णकालिक सदस्य बना. 2023 में इस संगठन की अध्यक्षता का दायित्व भारत को मिला था. फिलहाल  एससीओ के सदस्य देशों में भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, कज़ाखिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, ईरान और बेलारूस शामिल हैं. इस साल एससीओ की अध्यक्षता का जिम्मा चीन के पास है.

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