रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defence Minister Rajnath Singh) ने लद्दाख में डी-एस-डीबीओ रोड पर आयोजित समारोह में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा निर्मित 75 अवसंरचना परियोजनाएं राष्ट्र को समर्पित कीं. इन 75 परियोजनाओं में 45 पुल, 27 सड़कें, दो हेलीपैड और एक कार्बन न्यूट्रल हैबिटेट- छह राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) में फैली हुई हैं. इनमें से जम्मू और कश्मीर में 20; लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में 18-18, उत्तराखंड में पांच और सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और राजस्थान के अन्य सीमावर्ती राज्यों में 14 परियोजनाएं हैं.
रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इन परियोजनाओं का निर्माण बीआरओ द्वारा रिकॉर्ड समय में 2,180 करोड़ रुपये की कुल लागत से किया गया है, जिनमें से कई अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करके एक ही कामकाजी मौसम में पूरी की गई हैं. चुनौतीपूर्ण मौसम के बावजूद उपलब्धि हासिल करने के लिए बीआरओ के धैर्य और दृढ़ संकल्प की सराहना करते हुए, रक्षा मंत्री ने कहा कि परियोजनाएं देश की रक्षा तैयारियों को मजबूत करेंगी और सीमावर्ती क्षेत्रों का आर्थिक विकास सुनिश्चित करेंगी.
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण डी-एस-डीबीओ रोड पर 14,000 फीट की ऊंचाई पर 120 मीटर लंबे क्लास 70 श्योक सेतु का ऑनसाइट उद्घाटन था. यह पुल सामरिक महत्व का होगा, क्योंकि यह सशस्त्र बलों के रसद आवागमन की सुविधा प्रदान करेगा. रक्षा मंत्री द्वारा आभासी रूप से उद्घाटन की गई अन्य परियोजनाओं में पूर्वी लद्दाख के हानले और थाकुंग में दो हेलीपैड शामिल हैं. ये हेलीपैड इस क्षेत्र में भारतीय वायु सेना की परिचालन क्षमताओं को बढ़ाएंगे.
हाल ही में बीआरओ के कार्मिकों के लिए 19,000 फीट की ऊंचाई पर पहले कार्बन न्यूट्रल हैबिटेट का भी उद्घाटन किया गया. यह देश का पहला कार्बन न्यूट्रल केंद्र शासित प्रदेश बनने के लद्दाख के संकल्प में योगदान देने की दिशा में बीआरओ का प्रयास है. इस परिसर की प्रमुख विशेषताओं में 57 कार्मिकों को आवास की सुविधा और चरम मौसम के दौरान थर्मल सुविधा शामिल है. यह बीआरओ को सर्दियों के दौरान कुशलतापूर्वक संचालन करने में सक्षम बनाएगा.
इस अवसर पर रक्षा मंत्री ने देश की सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए दूर-दराज के क्षेत्रों की प्रगति सुनिश्चित करने हेतु सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए जोर देकर कहा कि सशस्त्र बलों की वीरता के साथ आधारिक संरचना का विकास मुख्य कारण है, जिसने भारत को उत्तरी क्षेत्र में हाल की स्थिति से प्रभावी ढंग से निपटने में मदद की. उन्होंने नई 75 परियोजनाओं को उस संकल्प का प्रमाण बताया और कहा कि ये पुल, सड़कें और हेलीपैड देश के पश्चिमी, उत्तरी और उत्तर-पूर्वी हिस्सों के दूर-दराज के क्षेत्रों में सैन्य और सिविल परिवहन की सुविधा प्रदान करेंगे, जो विकास श्रृंखला का एक हिस्सा बनेंगे. उन्होंने सीमावर्ती क्षेत्रों के साथ सड़क संपर्क को राष्ट्र के समग्र विकास के लिए सरकार के प्रमुख क्षेत्रों में से एक बताया.
आजादी के बाद दशकों तक जम्मू-कश्मीर में आधारिक संरचना के विकास की कमी केंद्र शासित प्रदेश में आतंकवाद के पनपने के कारणों में से एक थी. इन आंतरिक अवरोधों के परिणामस्वरूप पर्यटकों की संख्या में उल्लेखनीय गिरावट आई, जिसने लद्दाख के साथ-साथ पूरे देश को भी प्रभावित किया. अब, सरकार के प्रयासों के कारण, इस क्षेत्र में शांति और प्रगति की नई शुरुआत देखी जा रही है. हमारा उद्देश्य देश के सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के विकास को जारी रखना है. जल्द ही सभी दूरदराज के क्षेत्रों को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ा जाएगा और हम सब मिलकर देश को प्रगति की नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे. इस उद्देश्य को प्राप्त करने में बीआरओ की महत्वपूर्ण भूमिका है.
इस अवसर पर राजनाथ सिंह ने चंडीगढ़ में बनाए जा रहे हिमांक एयर डिस्पैच कॉम्प्लेक्स और लेह में बीआरओ संग्रहालय की आधारशिला भी रखी. सर्दियों की शुरुआत के साथ, भारी बर्फबारी के कारण दर्रे बंद होने के बाद, बीआरओ दूर-दराज के क्षेत्रों में पुरुषों, मशीनरी और सामग्री की आवाजाही के लिए हवाई प्रयास का बड़े पैमाने पर उपयोग करता है. चंडीगढ़ स्थित मौजूदा एयर डिस्पैच सब यूनिट को पारगमन सैनिकों को सुविधा प्रदान करने और जमीन पर कार्यों के निष्पादन के लिए आवश्यक सामग्री और उपकरणों की कुशल और निर्बाध डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए अपग्रेड किया जा रहा है. बीआरओ नवीनतम 3 डी प्रिंटिंग तकनीक को शामिल करके चंडीगढ़ में नए परिसर का निर्माण करेगा और पूरा होने के बाद, भवन दुनिया का सबसे बड़ा 3 डी प्रिंटेड कॉम्प्लेक्स होने का दावा करेगा.
अपने कर्मियों के बलिदानों का सम्मान करने और बीआरओ की उपलब्धियों को संस्थागत रूप देने और रिकॉर्ड पर रखने के लिए, लेह में एक संग्रहालय स्थापित किया जा रहा है, जो सूचना और प्रेरणा का स्रोत होगा. इस संग्रहालय भवन का निर्माण 3 डी प्रिंटिंग प्रौद्योगिकी का उपयोग करके भी किया जाएगा और पूरा होने पर, दुनिया की सबसे ऊंची 3 डी प्रिंटेड बिल्डिंग बन जाएगी.