दीपेंद्र सिंह हुड्डा भी हरियाणा के सीएम पद की रेस में? कितना है दम

दीपेंद्र सिंह हुड्डा को कांग्रेस पार्टी के हाईकमान का करीबी समझा जाता है. राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) से उनकी ट्यूनिंग काफी अच्छी दिखाई देती है.

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नई दिल्ली:

Haryana Election results and Chief Minister race:  हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में हुई वोटिंग के बाद एग्जिट पोल्स (haryana exit polls) भी आ चुके हैं. दोनों ही जगह के एग्जिट पोल बता रहे हैं कि कहां पर किस पार्टी की सरकार बन सकती है या फिर किस समीकरण से सरकार बनने की राह तय हो सकती है. यह अलग बात है कि एग्जिट पोल के बाद वास्तविक काउन्टिंग में कुछ बदलाव कई बार देखने को मिल चुके हैं. कई बार तो एग्जिट पोल गलत भी साबित होते रहे हैं. लेकिन, काफी हद तक लोगों के मूड को एग्जिट पोल जनता तक पहुंचा देते हैं. 

किनके नाम सीएम पद की रेस में

एग्जिट पोल में हरियाणा में कांग्रेस पार्टी (Congress party win in Exit Poll) को स्पष्ट बहुमत दिखाया गया है. इसके बाद से पार्टी काफी उत्साहित है और साथ ही शुरू हो चुका है कि कौन होगा मुख्यमंत्री (Who will be chief minister of Haryana)... पार्टी में सबसे ज्यादा ज्यादा चर्चा जिन नामों की हो रही है उनमें भूपिंदर सिंह हु्ड्डा (Bhupinder Singh Hooda), कुमारी शैलजा (Kumar Selja) और रणदीप सुरजेवाला (Randeep Surjewala) का नाम चल रहा है.

दीपेंद्र हुड्डा का नाम भी

यहां जो नाम अभी सुनाई कम दे रहा है और जिसके सीएम बनने की संभावना भी बनती है वह हैं दीपेंद्र सिंह हुड्डा (Deepender Singh Hooda) का नाम है. यह अलग बात है कि उनकी ओर से अभी ऐसा कुछ भी कहा नहीं गया है. लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि इस बार उनके नाम पर भी सहमति बन सकती है. इसके दो अहम कारण यह है कि वह पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा के बेटे हैं और उनके नाम का विरोध भी होना मुश्किल होगा. 

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क्यों बन सकते हैं दीपेंद्र पसंद

दीपेंद्र सिंह हुड्डा को कांग्रेस पार्टी के हाईकमान का करीबी समझा जाता है. राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) से उनकी ट्यूनिंग काफी अच्छी दिखाई देती है. यह भी कोई हाल फिलहाल की बात नहीं है. यह पिछले कुछ सालों में देखा गया है कि दीपेंद्र हुड्डा कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के काफी करीबी रहे हैं. इतना ही नहीं पिछले काफी समय से कांग्रेस पार्टी को राज्य में मजबूत करने के लिए उन्होंने काफी मेहनत भी की है. 

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दिल्ली के जंतर-मंतर पर हरियाणा के पहलवानों के विरोध प्रदर्शन से लेकर विनेश फोगाट (Vinesh Phogat) के ओलिंपिक खेलों के बाद देश में वापस आने पर उनके जोरदार स्वागत के कार्यक्रम से लेकर रोड शो तक में दीपेंद्र हुड्डा प्रमुखता से नज़र आते हैं. उन्होंने हरियाणा की राजनीति को समझने लेकर ग्राउंड पर काफी काम किया.

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राज्य में पार्टी की मजबूती के लिए दींपेद्र हु्ड्डा के द्वारा किए गए कामों को देखते हुए ही पार्टी ने उनके पिता और पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा के समर्थक नेताओं को टिकट भी काफी दिए.

पार्टी के जीत होती है तो यह साफ है कि हुड्डा खेमे के ज्यादा विधायक चुने जाएंगे. इसके साथ ही हुड्डा खेमे का दावा भी काफी मजबूत हो जाता है. 

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भूपिंदर सिंह हुड्डा पहुंचे दिल्ली

गौरतलब है कि भूपिंदर सिंह हु्ड्डा एग्जिट पोल के नतीजों के बाद शनिवार को दिल्ली पहुंच गए हैं. माना जा रहा है कि वे दिल्ली में कांग्रेस पार्टी के आलाकमान से मुलाकात करेंगे. यह भी कहा जा रहा है कि इस मुलाकात में हरियाणा में पार्टी की जीत के बाद सरकार गठन को लेकर चर्चा होगी. इतना ही नहीं सीएम पद के लिए अपने नाम को भी भूपिंदर सिंह हुड्डा आगे बढ़ा सकते हैं.

यहां यह साफ है कि हुड्डा अपने लिए सीएम पद की मांग कर रहे हैं. लेकिन यदि दीपेंदर हुड्डा का नाम आगे आता है तो संभव है कि वे अपने नाम को पीछे खींच लें. 

वे इससे पहले भी यह साफ कर चुके हैं कि राज्य में सीएम पद के नाम का चयन विधायक और पार्टी आलाकमान करेगा. 
वहीं दूसरी ओर पार्टी के दलित नेता कुमारी शैलजा का नाम भी सीएम पद की रेस में चल रहा है. वे भी पार्टी से इस बार यह उम्मीद रखे बैठीं हैं कि उन्हें भी राज्य की कमान दी जाए. चुनाव के दौरान इसी मुद्दे को लेकर उनकी नाराजगी सामने आई थी. एग्जिट पोल के नतीजों के बाद एक बार उन्होंने कहा कि पार्टी आलाकमान सीएम पद पर नाम फाइनल करेगा. 

क्या कहा कुमारी शैलजा ने

आपके बता दें कि कुमारी शैलजा ने साफ कहा है कि वे शीर्ष पद की दौड़ में हैं, लेकिन यह पारंपरिक "दावा करने" के तरीके से नहीं होगा. उन्होंने कहा, "हर राज्य में गुट होते हैं. यह राजनीति का हिस्सा है. हरियाणा या मेरी पार्टी पर उंगली क्यों उठाई जाए? यह हमेशा से होता रहा है, सिर्फ चुनावों के दौरान नहीं. जमीनी स्तर पर हम सभी ने मिलकर कड़ी मेहनत की है."

सुरजेवाला भी पीछे नहीं

वहीं, रणदीप सुरजेवाला भी पार्टी के हाईकमान के काफी करीब समझे जाते हैं. पार्टी प्रवक्ता के तौर पर रणदीप सुरजेवाला ने कई अहम मु्द्दों पर पार्टी का रुख रखा है. रणदीप सुरजेवाला पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में माने जाते हैं. इस बार उन्होंने अपने बेटे आदित्य सुरजेवाला को भी चुनाव लड़वाया है. 

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