पेट्रोल-डीजल पर उत्‍पाद शुल्‍क में कटौती को लेकर समय आने पर फैसला लेगी सरकार : CBIC चेयरमैन

अजीत कुमार ने कहा, ‘‘जहां तक ईंधन के दाम में कटौती का सवाल है, इस मामले पर सरकार की लगातार नजर है और मुझे पूरा भरोसा है कि जब भी समय आएगा, इस बारे में निर्णय किया जाएगा.’’

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प्रतीकात्‍मक फोटो
नई दिल्ली:

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) के चेयरमैन एम अजीत कुमार (M Ajit Kumar) ने कहा है कि सरकार उपयुक्त समय आने पर करों में कटौती के जरिये पेट्रोल और डीजल के दाम (Petrol, Diesel Prices) में कमी लाने पर विचार करेगी. पेट्रोल और डीजल पर रिकॉर्ड उत्पाद शुल्क से अपत्यक्ष कर संग्रह 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष 2020-21 में सालाना आधार पर 59 प्रतिशत अधिक रहा.कर आंकड़ों के बारे में जानकारी देने को लेकर संवाददाताओं के साथ ‘वीडियो कॉल' में उन्होंने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि आने वाले महीनों में राजस्व अच्छा रहेगा.' 'कुमार ने कहा, ‘‘जहां तक ईंधन के दाम में कटौती का सवाल है, इस मामले पर सरकार की लगातार नजर है और मुझे पूरा भरोसा है कि जब भी समय आएगा, इस बारे में निर्णय किया जाएगा.''

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अजीत कुमार से यह पूछा गया था कि क्या सरकार ग्राहकों को राहत देने के लिये पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती पर विचार कर रही है.हालांकि उन्होंने उपयुक्त समय के बारे में विस्तार से जानकारी नहीं दी. सरकार ने पिछले साल पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 13 रुपये प्रति लीटर जबकि डीजल पर 16 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की थी. पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क अब 32.90 रुपये प्रति लीटर है. दिल्ली में पेट्रोल की दर 90.56 रुपये प्रति लीटर है और इसमें उत्पाद शुल्क का हिस्सा 36 प्रतिशत है. दूसरी ओर, डीजल पर उत्पाद शुल्क 31.80 रुपये प्रति लीटर है और इसके प्रति लीटर 80.87 रुपये का के खुदरा बिक्री मूल्य में उत्पाद शुल्क का हिस्सा 39 प्रतिशत है.

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राज्यों के वैट (मूल्य वर्धित कर) को जोड़ने पर इन ईंधनों के खुदरा मूल्यों में कुल कर का हिस्सा 55 से 60 प्रतिशत बैठता है.अंतररराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में तेजी के बीच देश के कुछ भागों, राजस्थान, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में पेट्रोल के दाम फरवरी में 100 रुपये लीटर तक पहुंच गये थे.हालांकि पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों की घोषणा हुई, कीमत वृद्धि पर रोक लग गयी. सीबीआईसी सदस्य (बजट) विवेक जोहरी ने कहा कि उत्पाद शुल्क संग्रह में 59.2 प्रतिशत की वृद्धि का एक कारण पेट्रोलियम कर की दर में वृद्धि है.उन्होंने कहा, ‘‘अगर कटौती होती है तो उत्पाद शुल्क से राजस्व संग्रह पर असर पड़ेगा.''पिछले महीने पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने संसद में कहा था कि पेट्रोल और डीजल पर कर संग्रह 2013 में 52,537 करोड़ रुपये था जो 2019-20 में बढ़कर 2.13 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया. वहीं 2020-21 के पहले 11 महीनों में यह बढ़कर 2.94 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया.सीबीआईसी ने 2020-21 में पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क संग्रह का आंकड़ा अलग से नहीं दिया.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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