गर्व से चौड़ा हो गया सीना, पढ़ें IPS पिता की सलामी पाने वाली IAS बिटिया की कहानी

इस तस्वीर में जो पुलिस अधिकारी सैल्यूट कर रहे हैं, उनका नाम  एन वेंकटेश्वरलू है. वो अपनी IAS बेटी को सैल्यूट कर रहे हैं. दरअसल, उनकी बेटी उमा हरथि सिविल परीक्षा 2022 की थर्ड रैंक टॉपर हैं.

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नई दिल्ली:

आज फादर्स डे है. चलिए आपको तेलंगाना के सूर्यपेट की हुजूर नगर सीताराम नगर कॉलोनी के रहने वाले बाप-बेटी की गजब जोड़ी से मिलते हैं. इनकी कहानी गजब है. ऐसी कहानी जिसका सपना हर पिता देखता है. इस बाप-बेटी की तस्‍वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. इस तस्वीर में देखा जा सकता है कि एक पिता अपनी बेटी को सैल्यूट कर रहे हैं. इस तस्वीर के पीछे एक बहुत मार्मिक और प्यारी कहानी है. इस तस्वीर में जो पुलिस अधिकारी सैल्यूट कर रहे हैं, उनका नाम एन. वेंकटेश्वरलु है. वह अपनी IAS बेटी को सैल्यूट कर रहे हैं. उनकी बेटी उमा हरथि सिविल परीक्षा 2022 की थर्ड रैंक टॉपर हैं.

पिता का सीना गर्व से हुआ चौड़ा

उमा तेलंगाना पुलिस अकादमी में गई थीं. बेटी को देखते ही पिता वेंकटेश्वरलु कुछ भावुक से हो गए. उन्होंने सामने खड़ी बेटी को खुशी से जोरदार सलामी दी. यह पूरी कहानी अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. IAS उमा हरथि की शुरुआती पढ़ाई-लिखाई तेलंगाना से हुई है. उमा के पिता एन वेंकटेश्वरलू नारायणपेट जिले के पुलिस अधीक्षक हैं. उमा अपने आईपीएस पिता से काफी प्रभावित थीं. अपने पिता को जब वर्दी में देखती थीं, तो उन्हें भी इसे पहनने की इच्छा होती थी. और फिर उमा के सपनों को पंख लग गए. सिविल सेवा परीक्षा की उन्होंने जमकर तैयारी की. पांचवें प्रयास में आखिर वह सिविल सेवा परीक्षा में तीसरी रैंक लाने में सफल रहीं.

IIT से आईपीएस तक का सफर

आईएएस अधिकारी उमा हरथि तेलंगाना के नलगोंडा जिले की रहने वाली हैं. उमा हरथि आईआईटी हैदराबाद से सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक हैं, जिन्होंने यूपीएससी 2022 में एआईआर 3 के साथ सफलता हासिल की. ​​आईआईटी की छात्रा होने के बावजूद, उनका लक्ष्य एक आईएएस अधिकारी के रूप में समाज की सेवा करना था. स्नातक होते ही उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी. फिर भी, उमा ने चार बार यूपीएससी परीक्षा दी और हर बार असफल रहीं. लेकिन उन्‍होंने हिम्‍मत नहीं हारी और मेहनत करती रही. आरखिरकार पांचवें प्रयास में उन्‍हें सफलता मिली और उनका सपना पूरा हो गया.  

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पिता के प्रोत्‍साहन से मिली राह

उमा के पिता ने उन्हें सिविल सेवा में जाने के लिए प्रोत्साहित किया. अपने पिता के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा, "वह मुझे बताते रहे कि यह कितना बढ़िया मंच है. करियर के तौर पर भी और ऐसा मंच भी जहां मैं कुछ सार्थक कर सकती हूं." परिवार में उमा हरथि को ऐसा माहौल मिला, कि उनकी कुछ आसासन हुई. वह अपने करियर को आगे बढ़ाने और बड़े सामाजिक प्रभाव डालने के साधन के रूप में मंच के मूल्य को समझती है. सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक करने वाली उमा अपने चुनौतीपूर्ण, लेकिन ममदगार अनुभव के आधार पर दृढ़ता और गलतियों से सीखने की आवश्यकता पर जोर देती हैं.

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...तो आप दुनिया का सामना करने के लिए होंगे तैयार

एनडीटीवी के साथ एक इंटरव्‍यू में उमा हरथि ने बताया कि कैसे एक ही पल में सबकुछ बदल गया. उन्होंने कहा, "यह मेरा पांचवां प्रयास था. यह एक लंबी प्रक्रिया रही है और यह आसान नहीं था. लेकिन यह एक शानदार सफर था. मैंने अपनी गलतियों से सीखा और खुद को खोजा." उन्होंने अन्य अभ्यर्थियों को सलाह देते हुए कहा, "प्रक्रिया को अपनाएं, परीक्षा को समझें. रणनीति, अपनी असफलताओं, असफलताओं और उतार-चढ़ाव को स्वीकार करें. बस हर चीज को स्वीकार करें, और इस तरह, भले ही आप सफल न हों परीक्षा, आप दुनिया का सामना करने के लिए तैयार होंगे."

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