दलितों के भीतर असुरक्षा का भाव इस कदर व्याप्त है कि अनुसूचित जाति के आम लोग ही नहीं बल्कि ऊंचे पदों पर बैठे लोगों को भी इसका अहसास होता है. ऐसा ही कुछ वाकया जयपुर के ग्रामीण जिले में देखने को मिला, जब एक अनुसूचित जाति के आईपीएस अफसर को ही अपनी बारात पुलिस सुरक्षा के साये में निकालनी पड़ी. ऊंची जाति के लोगों की ओर से दलितों द्वारा बारात निकालने का विरोध किए जाने की पुरानी घटनाओं को देखते हुए जयपुर ग्रामीण में एक दलित आईपीएस अधिकारी की बारात पुलिस सुरक्षा में निकाली गई.
मध्य प्रदेश : 100 पुलिसकर्मियों की सुरक्षा में दलित कांस्टेबल ने घोड़ी पर चढ़कर बारात निकाली
कोटपूतली के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विद्याप्रकाश ने बताया कि मणिपुर कैडर के 2020 बैच के आईपीएस अधिकारी और कोटपूतली के जयसिंहपुरा गांव के निवासी सुनील कुमार धनवंत (26) घोड़ी पर सवार होकर शादी की रस्मों की अदायगी के लिए बारात के साथ हरियाणा पहुंचे.
विद्याप्रकाश ने कहा कि एहतियात के तौर पर सुरक्षा के इंतजाम किए गए थे. इससे पहले धनवंत मंगलवार को पास के सूरजपुरा गांव में ‘बिंदौरी' समारोह के तहत भी पुलिस की निगरानी में घोड़ी पर सवार होकर आयोजन स्थल पर पहुंचे थे. पुलिस अधीक्षक (जयपुर ग्रामीण) मनीष अग्रवाल के मुताबिक, दूल्हे ने अपनी शादी के बारे में प्रशासन को पहले ही सूचित कर दिया था और किसी भी अप्रिय घटना को टालने के लिए जरूरी इंतजाम किए गए थे.
मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति जनजाति (SC ST) के युवक की शादी को लेकर ऐसा ही वाकया कुछ दिनों पहले सामने आया था. कुछ दिनों पहले सागर से ऐसा मामला आया था तो अब छतरपुर से. जिस शख्स को पुलिस की मौजूदगी में घोड़ी पर चढ़कर सेहरा पहनना पड़ा वो खुद पुलिसकर्मी है. उसे 100 पुलिसकर्मियों की सुरक्षा के साये में बारात लेकर जाना पड़ा.वहीं दमोह में पिछड़े वर्ग के दूल्हे को अनुसूचित जाति की दुलहन लाना 7 साल बाद भी महंगा पड़ रहा है. बता दें कि संसद में पेश आंकड़े बताते हैं कि दलितों के प्रति अत्याचार के मामले में मध्यप्रदेश देश में चौथे नंबर पर है,जबकि आदिवासियों के प्रति अत्याचार के मामले में पहले नंबर पर. 10 फरवरी को पुलिस की मौजूदगी में छतरपुर के कुंडलया गांव में दयाचंद घोड़ी पर बैठे.