खतरनाक चक्रवाती तूफान ताउते के चलते मुंबई के तट से कई किलोमीटर अंदर तक समुद्र में खतरनाक परिस्थितियां पैदा हो गई थीं. मुंबई से लगभग 35 नॉटिकल मील दूर अरब सागर में तूफान के चलते कई जहाज फंस गए थे. भारतीय नौसेना तीन दिनों से समुद्र में अपना रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही है. एक बजरा P305 डूब भी चुका है. इस बजरे से 186 लोगों को बचाया है और 26 शव रिकवर किए गए हैं. और भी कई छोटे-बड़े जहाज बचाए गए हैं.
नेवी का ऑपरेश अब भी जारी है. P305 बजरे से बच निकलने वाले लोगों ने नेवी को शुक्रिया कहा और बताया कि तूफान के बीच उनका अनुभव कैसा था और कैसे उनकी जान गहरे समुद्र और तूफानी बारिश के बीच फंसी हुई थी.बजरे के एक क्रू मेंबर स्वप्निल सावंत ने बताया, 'हालात बहुत गंभीर थे. लहरें बहुत ऊंची थीं. मैं नेवी का शुक्रिया करता हूं कि उन्होंने अपनी जान मुश्किल में डालकर हमारी जान बचाई.'
एक अन्य सर्वाइवर अमित कुमार कुशवाहा ने बताया कि वो 11 घंटों तक समुद्र में तैरते रहे और अपनी जान के लिए लड़ते रहे. उन्होंने बताया, 'बजरा डूब रहा था, तो मुझे समुद्र में कूदना पड़ा. मैं समुद्र में 11 घंटों तक अपने लाइफ जैकेट के बल पर तैरता रहा, इसके बाद नेवी पहुंची.'
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एक और सर्वाइवर जो मदद पहुंचने से पहले तक काफी घायल हो चुका था, वो अपना अनुभव बताते हुए रो पड़ा. उसने कहा कि अगर नेवी की मदद नहीं पहुंचती तो कोई भी जिंदा नहीं बचता. 'नेवी के अधिकारियों का बहुत धन्यवाद. उनकी वजह से ही मैं जिंदा हूं. अगर वो नहीं होते तो कोई जिंदा नहीं बचता.'
विकास कुमार नाम के एक सर्वाइवर ने बताया कि बजरे के डूबने के बाद वो भी घायल हो गए थे. उन्होंने बताया, 'जब बजरा डूब रहा था तो मैं समुद्र में कूद गया. इस दौरान मेरे पेट में गंभीर चोट लग गई. नेवी नहीं पहुंचती तो मैं नहीं बचता.'
बता दें कि नेवी ने एक टगबोट, वरप्रभा को भी बचाया. ये बोट भी तूफान में तट के किनारे से भटक गया था. इसके अलावा दो और बजरे और एक ऑयल रिग से भी लोगों को बचाया गया है.