साइबर ठगों ने महिला वकील से ऐंठे ₹14 लाख, 'नारकोटिक्स टेस्ट' के नाम पर उतरवाए कपड़े; किया ब्लैकमेल

पीड़ित वकील ने कहा कि उस शख्स ने उसे ब्लैकमेल किया और कहा कि अगर उसे उसी दिन दोपहर 3 बजे तक 10 लाख रुपये नहीं दिए गए, तो वो उसके वीडियो कई लोगों और डार्क वेब पर बेच देगा.

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बेंगलुरु:

आजकल कानून की प्रैक्टिस करने वाले भी घोटालेबाजों से अछूते नहीं हैं. बेंगलुरु के एक वकील को न केवल 14 लाख से अधिक की चपत लगी, बल्कि "नारकोटिक्स टेस्ट" के नाम पर उसके कपड़े उतरवाकर वीडियो रिकॉर्ड किए गए. इसके बाद उस महिला के न्यूड वीडियो वायरल करने की धमकी देकर और ₹10 लाख वसूलने की कोशिश की गई, जिसके बाद पीड़िता ने आखिरकार पुलिस में शिकायत दर्ज कराई.

मुंबई साइबर अपराध टीम और सीबीआई से होने का दावा कर इस 29 वर्षीय महिला को फोन किया गया और उसके बाद लगभग दो दिनों तक उसे ऑडियो और वीडियो कॉल के जरिए बंधक बनाकर रखा गया. इसी दौरान उसकी रिकॉर्डिंग की गई.

वकील की शिकायत के अनुसार, पिछले बुधवार (3 अप्रैल) को उसे FedEx से होने का दावा करने वाले किसी व्यक्ति का फोन आया, जिसने कहा कि उसके नाम का एक पार्सल वापस कर दिया गया है. उसे बताया गया कि पार्सल मुंबई से थाईलैंड भेजा गया था और इसमें पांच पासपोर्ट, तीन क्रेडिट कार्ड और प्रतिबंधित दवा एमडीएमए की 140 गोलियां थीं.

जब वकील ने कहा कि उसका पार्सल से कोई लेना-देना नहीं है, तो उससे पूछा गया कि क्या वो उसकी पहचान की चोरी की शिकायत दर्ज कराने के लिए मुंबई में साइबर क्राइम टीम के पास जाना चाहती है. जब उसने हां कहा, तो उसके कॉल को साइबर क्राइम टीम से होने के दावा करने वाले एक शख्स को ट्रांसफर कर दिया गया. दूसरी तरफ मौजूद शख्स ने वकील से स्काइप डाउनलोड कर वीडियो कॉल करने को कहा.

मानव और ड्रग्स तस्करी के नाम पर महिला वकील को बनाया बंधक

महिला ने एफआईआर में कहा, "जब मैंने स्काइप डाउनलोड किया और कॉल किया, तो उन्होंने कथित अवैध पार्सल के बारे में विवरण और मेरे आधार कार्ड की जानकारी मांगी. इसके बाद, तथाकथित अधिकारी ने उच्च अधिकारियों से जांच की और मुझे बताया कि मेरा आधार कार्ड मानव तस्करी और ड्रग्स को लेकर हाईअलर्ट पर है, फिर स्काइप कॉल अभिषेक चौहान नाम के एक कथित वरिष्ठ सीबीआई अधिकारी को स्थानांतरित कर दी गई, जहां मुझे अपना कैमरा चालू करने और बातचीत शुरू करने के लिए कहा गया."

महिला ने कहा कि 'अधिकारी' ने उसके खाते के पैसे, उसके वेतन और निवेश सहित उसके सभी विवरण नोट कर लिए.

पीड़िता ने कहा, "कुछ समय बाद, उन्होंने कहा कि उनके उच्च अधिकारियों का एक आदेश है और वो चाहते थे कि मैं गोपनीयता के बारे में एक आदेश पढ़ूं, जिसमें मुझे शपथ दिलाई गई कि जांच पूरी होने तक मैं किसी भी विवरण का खुलासा नहीं करूंगी."

जब महिला ने पूछा कि क्या वो अपने परिवार या किसी पुलिस अधिकारी से बात कर सकती है, तो उसे ऐसा नहीं करने के लिए कहा गया और आश्वासन दिया गया कि ये उसकी "अपनी सुरक्षा" के लिए है. आगे पूछने पर, उसे भारत के अग्रणी बैंकों में से किसी एक द्वारा कर्मचारी विवरण का उपयोग करके चलाए जा रहे मनी लॉन्ड्रिंग और मानव तस्करी घोटाले के बारे में एक कहानी सुनाई गई.

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महिला पर लगातार निगरानी रखी गई

एफआईआर में कहा गया, "चूंकि इस हाई-प्रोफाइल मामले में पुलिस और राजनेता शामिल थे, इसलिए मुझे उनके साथ सहयोग करने और किसी से बात न करने के लिए कहा गया. पूरे बुधवार के लिए मुझ पर निगरानी रखी गई थी, मुझे अपना कैमरा चालू रखने के लिए कहा गया था, वे देख सकते थे कि मैं किसी को कॉल या टेक्स्ट कर रही हूं कि नहीं. पूरे दिन मुझ पर नजर रखी गई और रात में भी मुझे कैमरा चालू रखने और सोने के लिए कहा गया."

अगले दिन, "सीबीआई अधिकारी" चौहान ने उनसे "आरबीआई दिशानिर्देशों के अनुसार", लेनदेन की वैधता की जांच करने के लिए अपने खाते से सभी पैसे एक डमी खाते में ट्रांसफर करने के लिए कहा. उसे अपनी बैंक शाखा में जाने के लिए कहा गया, जहां उसने अपने खाते में मौजूद ₹10.79 लाख को उसी बैंक के दूसरे खाते में ट्रांसफर कर दिया. पूरे समय, उसे कॉल पर बने रहने और अपने फ़ोन की स्क्रीन साझा करने के लिए कहा गया, ताकि उस पर नज़र रखी जा सके.

पैसे ट्रांसफर होने के कुछ घंटों बाद, उन्हें बताया गया कि उन्होंने अधिकांश लेनदेन की जांच पूरी कर ली है, लेकिन उनके क्रेडिट कार्ड लेनदेन में कुछ विसंगतियां थीं. फिर उसे एक ऐप डाउनलोड करने के लिए कहा गया, जिसके माध्यम से घोटालेबाजों ने 5,000 डॉलर (लगभग 4.16 लाख रुपये) का बिटकॉइन खरीदने की कोशिश की, लेकिन वो कैंसिल कर दिया गया.

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बिटकॉइन खरीदने की कोशिश की गई

फिर वकील से यूज लिमिट बदलने के लिए कहा गया, लेकिन बाद के दो प्रयासों में भी वो बिटकॉइन खरीदने में असफल रहे. अपने कार्ड के "मिसयूज" से बचने के लिए, उसे इसकी तस्वीरें भी भेजने के लिए कहा गया और फिर गुरुवार (5 अप्रैल) को सुबह एक शॉपिंग साइट पर ₹2.04 लाख और ₹1.73 लाख का लेनदेन किया गया. जब उसे अपने बैंक के ग्राहक सेवा से फोन आया, तो उसे ये पुष्टि करने के लिए मजबूर किया गया कि उसने लेनदेन किया है, नहीं तो वे मामले को बंद नहीं कर पाएंगे.

इन लेनदेन के बाद, पीड़ित वकील से "नारकोटिक टेस्ट" के नाम पर कपड़े उतारवाए गए. उसने बताया, "सारे पैसे लेने के बाद, अभिषेक चौहान ने मुझे नारकोटिक्स ड्रग्स टेस्ट के लिए तैयार होने के लिए कहा. मुझे कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया गया और कैमरा चालू होने पर अश्लील वीडियो बनाने के लिए कहा गया. उन्होंने मुझे धमकी दी और गालियां दीं कि मैं ऐसा करना जारी रखूं, नहीं तो वे गिरफ्तार कर लेंगे."

पीड़िता ने एफआईआर में कहा, ''उन्होंने मुझे धमकाया कि मैं और मेरा परिवार ड्रग्स मामले में शामिल हैं और अगर मैंने उनके कहने के मुताबिक नहीं किया तो वो मुझे और मेरे परिवार को मार डालेंगे.''

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वकील ने कहा कि उस व्यक्ति ने उसे ब्लैकमेल किया और कहा कि अगर उसे उसी दिन दोपहर 3 बजे तक 10 लाख रुपये नहीं दिए गए तो वो उसके वीडियो कई लोगों और डार्क वेब पर बेच देगा.

महिला ने बेंगलुरु पुलिस से इसकी शिकायत दर्ज की है, अधिकारियों ने कहा कि जांच चल रही है.

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