MSME सेक्टर पर कोरोना संकट और लॉकडाउन का असर, गारमेंट उत्पादक गंभीर वित्तीय संकट में

ये वित्तीय संकट कपड़ा उत्पादकों तक सीमित नहीं है. छोटे-लघु उद्योग संघ के सेक्रेटरी जनरल अनिल भारद्वाज कहते हैं फार्मा सेक्टर को छोड़कर लगभग सभी MSME सेक्टरों में संकट गहराता जा रहा है.

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Cloth Manufacturers Association of India ने सरकार से मांगी रियायत
नई दिल्ली:

कोरोना संकट का साया छोटे-लघु उद्योगों (COVID and Lockdown Impact on MSME) विशेषकर कपडा उत्पादन (Textile Industry) से जुड़ी इकाइयों पर गहराता जा रहा है. बाज़ार और मॉल्स बंद हैं, नए कपड़ों के ऑर्डर्स घटते जा रहे हैं और खरीद बिक्री का सप्लाई चैन पिछले एक महीने में फिर चरमरा गया है. क्लॉथ मनुफक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया ने एक सर्वे में पाया है कि MSME सेक्टर में 77% कपड़ा उत्पादन करने वाली इकाइयां 25% तक आपने वर्कफोर्से को काम से हटाने की योजना बना रही हैं.

कोरोना संकट और लॉकडाउन ने छोटे-लघु उद्योगों का संकट बढ़ा दिया है. सबसे ज्यादा प्रभावित MSME सेक्टरों में कपड़ा निर्माता हैं जिनका व्य[पर चरमरा गया है. बाजार बंद होने से नए ऑर्डर्स नहीं आ रहे, कच्चा माल की सप्लाई भी बाधित हो गयी है.

क्लॉथ मनुफक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया (Cloth Manufacturers Association of India)के एक सर्वे में खुलासा हुआ है कि कपड़ा उत्पादन (Garment Manufacturing) से जुड़े 77% छोटे-लघु उद्योग अपने 25% वर्करों को हटाने की तैयारी (प्लानिंग) कर रहे हैं. अप्रैल 2021 में 55% कपडा उत्पादन करने वाले लघु-उद्योग के तैयार सामान की सेल्स 25% से भी नीचे गिर गयी. 72% MSME यूनिट्स ने सर्वे में कहा कि उनके 50% ऑर्डर्स खरीदारों ने कैंसिल कर दिए हैं. ये संकट ऐसे वक्त पर खड़ा हुआ है जब 2021 के शुरुआत में कपडा उत्पादन इकाइयों की बिक्री प्री-कोविद के स्तर के 80% तक पहुँच गयी थी.

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क्लॉथ मैनुफक्चरर्स ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष राजेश मसंद, ने NDTV से कहा, "अप्रैल में जो नुक्सान हुआ है उसके बाद मैनुफैक्चर्स हिम्मत नहीं जुटा पायेगा कि वो मई में अपना प्रोडक्शन लेवल बरक़रार रख सके. ऐसे में वर्क फोर्स कम करना होगा. रिटेल बाजार बंद हैं और कॅश फ्लो नहीं आएगा. गारमेंट मैन्युफैक्चरर आपने वर्कर की पेमेंट कैसे कर पायेगा, EMI कैसे पाय करेगा और आपने सप्लायर को पैसे कैसे चुकाएगा. सरकार को MSME उद्योग के लिए जरूर कुछ करना चाहिए.

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ये वित्तीय संकट कपड़ा उत्पादकों तक सीमित नहीं है. छोटे-लघु उद्योग संघ के सेक्रेटरी जनरल अनिल भारद्वाज कहते हैं फार्मा सेक्टर को छोड़कर लगभग सभी MSME सेक्टरों में संकट गहराता जा रहा है. बड़ी संख्या में छोटी-लघु औद्योगिक इकाइयां के NPA के दायरे में आने का खतरा बढ़ता जा रहा है.

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छोटे-लघु उद्योग संघ के सेक्रेटरी जनरल अनिल बंसल ने NDTV से कहा, "लॉकडाऊन का MSME सेक्टर पर काफी बुरा असर पड़ रहा है. करीब 50% MSME यूनिट्स जिन्होंने बैंक से लोन लिया है. वो बहुत मुश्किल में हैं. जो NPA के नॉर्म्स हैं RBI के वो एक मुश्किल का कारण बन गयी हैं. हमारे फेडरेशन के अध्यक्ष ने वित्त मंत्री को एक चिठ्ठी लिखी है और उनसे अनुरोध किया है की NPA (फंसे कर्ज) के मानकों में ढील दिया जाये.''
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2020 के कोरोना संकट ने देश के करोड़ों छोटी-लघु इकाइयों की कमर तोड़ दी थी. 2021 के शुरुआत तक हालात सुधरने लगे थे. लेकिन कोरोना की दूसरी लहार ने फिर से लाखों छोटी-लघु इकाइयों के भविष्य पर सवालिया निशाँ लगा दिया है.

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