मशहूर मेडिकल साइंस रिसर्च जर्नल Lancet में प्रकाशित एक रिसर्च पेपर में कहा गया है कि आत्मनिर्भर भारत के तहत बनी कोविड वैक्सीन कोवैक्सीन (Covaxin) सुरक्षित है लेकिन उसके तीसरे चरण के क्नीनिकल ट्रायल के नतीजों की प्रभावशीलता का विश्लेषण जरूरी है. इस साल जनवरी में कौवैक्सीन के आपातलाकीन इस्तेमाल की मंजूरी दी गई थी, उस वक्त वैक्सीन थर्ड फेज ट्रायल में ही थी. रिसर्च पेपर में कोवौक्सीन के पहले दो फेज के ट्रायल के नतीजों का विश्लेषण छपा है, जिसमें उसे सुरक्षित बताया गया है.
लैंसेट में कहा गया है कि वैक्सीन की प्रभावकारिता 2 चरण के परीक्षणों द्वारा निर्धारित नहीं की जा सकती है, लेकिन हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक द्वारा बनाया गया टीका "सुरक्षित / प्रतिरक्षात्मक" है.
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अमेरिका के मैरीलैंड यूनिवर्सिटी ऑफ चेसापेक हेल्थ के संक्रामक रोगों के प्रमुख फहीम यूनुस ने एक ट्वीट में केवैक्सीन के डेवलपमेंट को "अच्छी खबर" बताया है. उन्होंने लिखा है, "गुड न्यूज, भारत बायोटेक की कोवैक्सीन की फेज 2 के नतीजे Lancet में प्रकाशित हुए हैं. इसके तहत 380 वॉलेंटियर पर अध्ययन किया गया है. वैक्सीन की दूसरी खुराक 28 दिन पर दी जा सकती है. वैक्सीन से किसी तरह के गंभीर (लेवेल 4/5) साइड इफेक्ट सामने नहीं आए हैं. लेकिन दो चरणों के ट्रायल रिपोर्ट के आधार पर वैक्सीन की प्रभावशीलता का मापन नहीं कर सकते."
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लैंसेट रिपोर्ट में कहा गया है कि चरण 2 के परिणामों के अध्ययन में रिपोर्ट किए गए परिणाम प्रभावकारिता आकलन की अनुमति नहीं देते हैं और चरण 3 सुरक्षा परिणामों के साथ आगे की पुष्टि की आवश्यकता है.