भारत की स्वदेशी कोरोना वैक्सीन कोवैक्सीन (COVAXIN) डेल्टा प्ल वैरिएंट के खिलाफ कारगर है. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के अध्ययन से यह जानकारी सामने आई है. कोवैक्सीन को हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक ने तैयार किया है. देश में 16 जनवरी से टीकाकरण की शुरुआत के बाद से ही यह वैक्सीन आपातकालीन मंजूरी के तहत लोगों को दी जा रही है. कोवैक्सीन का बच्चों पर भी परीक्षण (Covaxin Children Trial) चल रहा है और सितंबर की शुरुआत में इसके ट्रायल के नतीजे सामने आ सकते हैं. ट्रायल सफल रहे तो उसके बच्चों पर इस्तेमाल को मंजूरी दी जा सकती है. एम्स प्रमुख पहले ही सितंबर अंत तक भारत में बच्चों के लिए वैक्सीनेशन शुरू करने का संकेत दे चुके हैं.
कोवैक्सीन 77.8% प्रभावी, भारत बायोटेक ने फेज 3 ट्रायल अंतिम डेटा के आधार पर किया दावा
भारत में कोवैक्सीन और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के टीके कोविशील्ड का घोल मिलाकर नई डोज तैयार करने की कोशिश भी हो रही है. केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (SEC) ने कोवैक्सीन (Covaxin) और कोविशील्ड (Covishield) के मिश्रित खुराक (Mixing of Doses) के अध्ययन को मंजूरी देने की सिफारिश की है. सूत्रों का कहना है कि ये अध्ययन क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज (CMC Vellore) में होगा.
कोवैक्सीन को वयस्कों में 78 फीसदी तक प्रभावी पाया गया था. जबकि भारत बायोटेक के अनुसार, कोवैक्सीन टीका कोरोना के नए डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ "65.2 प्रतिशत सुरक्षा" प्रदान करता है. कोरोना के डेल्टा वैरिएंट को अत्यधिक संक्रामक बताया गया है.
कोवैक्सीन को ब्राजील, फिलीपींस, ईरान, मैक्सिको सहित 16 देशों में आपातकालीन इस्तेमाल के तहत मंजूरी मिल चुकी है. भारतीय कंपनी भारत बायोटेक वैक्सीन पर आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति प्राप्त करने के लिए WHO के साथ सहयोग कर रही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की मंजूरी के बाद इसका कहीं भी इस्तेमाल और लाइसेंसिंग की प्रक्रिया बेहद आसान हो जाएगी.