महिला की मौत के 15 साल बाद कोर्ट ने ससुराल वालों को दहेज मौत और क्रूरता का दोषी ठहराया

दिल्ली की अदालत ने सजा पर जिरह के लिए मामले की सुनवाई 30 जनवरी को निर्धारित की, महिला भारती तीन अक्टूबर, 2007 को असामान्य परिस्थितियों में मृत मिली थी

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प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:

दिल्ली की एक अदालत ने एक महिला की मौत के 15 साल बाद उसके पति सहित ससुराल के चार लोगों को दहेज मृत्यु और क्रूरता का दोषी ठहराया है. अदालत मृतका के पति पवन कुमार, सास सतबीरो, ससुर कप्तान सिंह और देवर दलजीत सिंह के खिलाफ मामले की सुनवाई कर रही थी. अभियोजन पक्ष के अनुसार, भारती अपनी शादी के डेढ़ साल के भीतर तीन अक्टूबर, 2007 को 'असामान्य परिस्थितियों' में मृत पाई गई थी.

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश गौतम मनन ने एक हालिया आदेश में कहा, 'अभियोजन आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ उचित संदेह से परे अपने मामले को साबित करने में सफल रहा है...उन्हें भारतीय दंड संहिता की धाराओं- 498 ए (पति या पति के रिश्तेदार द्वारा महिला के साथ क्रूरता करना), 304 बी (दहेज मृत्यु) और 34 (समान आशय) के तहत दोषी ठहराया जाता है.”

सजा पर जिरह के लिए अदालत ने मामले की सुनवाई 30 जनवरी को निर्धारित की है. हालांकि, अदालत ने आरोपियों को हत्या और सबूत मिटाने के आरोप से बरी कर दिया. 

कोर्ट ने कहा कि हालांकि जांच अधिकारी ने पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट मिलने के बाद हत्या का अपराध जोड़ा, लेकिन उसने 'हत्या की कड़ी' का पता लगाने के लिए कोई जांच नहीं की.

अदालत ने कहा कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार महिला की मौत दम घुटने के कारण हुई, लेकिन जांच अधिकारी ने यह पता लगाने के लिए कोई जांच नहीं की कि दम कैसे घुटा. इस मामले में दिल्ली के द्वारका थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई थी.

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