आपातकाल में देश ने तानाशाही का दर्द झेला : इमरजेंसी के 50 साल पर अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि जिस पार्टी ने देश में लोकतंत्र की हत्या करने का काम किया, संविधान का जो दुरुपयोग किया, वो एक दुःस्वप्न की तरह भारत की डेमोक्रेसी को हमेशा याद रहेगा. ...इसी को देखते हुए मोदी सरकार ने संविधान हत्या दिवस मनाने का फैसला किया है.

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  • केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आपातकाल के 50 साल कार्यक्रम में कांग्रेस पर हमला बोला.
  • उन्होंने इंदिरा गांधी के समय संविधान में कई बदलावों का जिक्र करते हुए निशाना साधा.
  • कहा, इसी को देखते हुए मोदी सरकार ने संविधान हत्या दिवस मनाने का निर्णय लिया है.
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नई दिल्ली में आपातकाल के 50 साल कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पार्टी और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर जमकर निशाना साधा. 

अमित शाह ने कहा कि इमरजेंसी के दौरान (इंदिरा) गांधी ने संविधान में इतने बदलाव किए कि इसे मिनी संविधान बताया गया. संविधान की प्रस्तावना बदल दी, आर्टिकल 14 बदल दिया, 7वां शेड्यूल बदल दिया.40 अलग अलग कानून बदल दिए गए. नए अनुच्छेद डाले गए. नए खंड डाले गए और 45वां संविधान संशोधन ने तो इंतिहा ही कर दी. संविधान के मूल स्वरूप को ही बदल दिया. 

शाह ने कहा कि इससे न्यायपालिका क्षुब्ध हो गई क्योंकि न्यायपालिका में न्याय देने वाले पहले ही अपने अनुकूल बनाकर रखे हुए थे. संशोधन के 59वें खंड ने सुप्रीम कोर्ट की शक्तियों को भी छीन लेने का काम किया. लोकतांत्रिक अधिकारों को खत्म करने का काम किया. एजेंसियों का दुरुपयोग किया. इस काम को इस देश की जनता कभी नहीं भुला सकती.

शाह ने आगे कहा कि इसी को देखते हुए मोदी सरकार ने फैसला किया है कि हम संविधान हत्या दिवस मनाएंगे क्योंकि ये पूरे देश की हमेशा के लिए स्मृति में रहना चाहिए कि जब  लोकतांत्रिक तरीके से चुनकर कोई व्यक्ति तानाशाह बनता है, तो देश को कैसे दुष्परिणाम भोगने पड़ते हैं. 

केंद्रीय गृह मंत्री ने संविधान संशोधनों पर पूर्व कांग्रेस सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि 38वां संशोधन किया गया. अनुच्छेद 130 और 213 के द्वारा राष्ट्रपति और राज्यपाल के अधिकार बढ़ाए गए. 352(5) आपातकाल की उद्घोषणा को न्यायिक मीमांसा (जुडिशल रिव्यू) से परे कर दिया गया.

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उन्होंने कहा कि 39वां संशोधन, 329ए अनुच्छेद प्रधानमंत्री को जुडिशल रिव्यू के बाहर कर दिया गया. इसमें राष्ट्रपति, स्पीकर, उपराष्ट्रपति का भी जिक्र किया. शाह ने इंदिरा गांधी को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि उनका मूल उद्देश्य था, प्रधानमंत्री को न्यायिक मीमांसा के बाहर करना. दो-चार नाम तो ऐसे ही जोड़ दिए, इतनी तो शर्म उन्होंने रखी थी. 

उन्होंने कहा कि देश के हर युवा को शाह कमीशन की रिपोर्ट पढ़नी चाहिए. आने वाले दिनों में अगर कोई तानाशाह बनने की हिम्मत करता है तो यह रिपोर्ट उसके सामने जयप्रकाश नारायण बनकर खड़े रहने का हौसला भी देगा और रास्ता भी दिखाएगा.

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शाह ने कांग्रेस पार्टी को निशाने पर लेते हुए कहा कि मैं पूछना चाहता हूं कि आपको क्या अधिकार है, लोकतंत्र पर सवाल उठाने का. जिस पार्टी ने देश में लोकतंत्र की हत्या करने का काम किया था. संविधान का जो दुरुपयोग हुआ, वो एक दुःस्वप्न की तरह भारत की डेमोक्रेसी को हमेशा याद रहेगा. 

अमित शाह ने कहा कि किसी व्यक्ति के अंदर तानाशाह बनने का विचार कब जागृत होगा और कब हमें जेपी की तरह आंदोलन की मशाल लेकर निकलना पड़ेगा, इसका समय तय नहीं होता है. उन्होंने कहा कि संविधान की मूल भावना की रक्षा सिर्फ कोर्ट और संसद नहीं कर सकती, ये पूरी जनता है. संविधान से खिलवाड़ करने वालों को दंडित करने की जिम्मेदारी जनता की है. 

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