भारत में कोरोनावायरस की दूसरी लहर के बीच हृदय विदारक घटनाएं सामने आई हैं. संक्रमण के दर के बढ़ने के साथ देश में कमजोर स्वास्थ्य इंफ्रा ने अस्पतालों, हेल्थवर्करों और मरीजों को बिल्कुल असहाय बनाकर रख दिया है. इस बीच कई विपक्षी पार्टियों और विश्लेषकों ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की एक कोशिश को लेकर आलोचना करनी शुरू की है. जानकारी है कि बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक की योजना है कि सकारात्मकता फैलाने के लिए कार्यक्रम किए जाएं और इस ओर कदम उठाए जाएं.
हालांकि, इसकी आलोचना की जा रही है. बुधवार को मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी ने एक ट्वीट कर कहा कि 'रेत में सिर डाल लेना सकारात्मकता नहीं, देशवासियों को धोखा देना है.' वहीं, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भी इस विचार को लेकर सरकार पर हमला किया है. उन्होंने इसे प्रोपेगैंडा फैलाने का सरकार का साधन बताया.
उन्होंने एक ट्वीट कर कहा कि 'ऐसे वक्त में जब शोक मना रहा है और आए दिन हमारे चारों ओर त्रासदियां घट रही हैं, ऐसे में सकारात्मकता के नाम पर झूठ और प्रोपेगैंडा फैलाना घिनौनी बात है. सकारात्मक होने के लिए हमें अंधे होकर सरकार प्रोपेगैंडा फैलाना वाला नहीं बन जाना चाहिए.'
मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी ने भी इस योजना को लेकर हमला किया है. राहुल ने इस खबर की एक मीडिया रिपोर्ट साझा कर कहा कि 'सकारात्मक सोच की झूठी तसल्ली स्वास्थ्य कर्मचारियों व उन परिवारों के साथ मज़ाक़ है जिन्होंने अपनों को खोया है और ऑक्सीजन-अस्पताल-दवा की कमी झेल रहे हैं. बकौल राहुल गांधी, रेत में सर डालना सकारात्मक नहीं, देशवासियों के साथ धोखा है.'
इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सरकार कोरोना के रोजाना के आंकड़ों में टेस्ट के नंबरों में पॉजिटिव के साथ निगेटिव नंबरों के देने की भी बात है.
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इस क्रम में पता चला है कि संघ 'सकारात्मकता असीमित' (positivity unlimited) नामक एक ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित करने जा रहा है. इस कार्यक्रम में शीर्ष प्रेरकों, धार्मिक गुरुओं और यहां तक कि प्रमुख उद्योगपतियों के व्याख्यान और भाषण शामिल होने जा रहे हैं. इस कार्यक्रम का विषय सकारात्मकता फैलाने पर होगा. उम्मीद है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत भी इस सकारात्मकता अभियान के तहत राष्ट्र को संबोधित कर सकते हैं.