दिल्ली-मुंबई में कोरोना के मामले घटे, मौतों का आंकड़ा अब भी चिंता का विषय: डॉक्टरों ने कहा

कोरोना महामारी की दूसरी लहर में देश के सबसे बुरी तरह प्रभावित शहरों में बेशक कोरोना के मामले घट रहे हैं, लेकिन मौतों का आंकड़ा अब भी अधिक है. इसकी बड़ी वजह यह है कि कोरोना के गंभीर मरीज जो ICU में अब भी भर्ती हैं उनकी मौत हो रही है.

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कोरोना के कम होते मामलों की तुलना में मौतों के आंकड़ों में ज्यादा कमी नहीं। (प्रतीकात्मक तस्वीर)
नई दिल्ली:

कोरोना महामारी की दूसरी लहर में देश के सबसे बुरी तरह प्रभावित शहरों में बेशक कोरोना के मामले घट रहे हैं, लेकिन मौतों का आंकड़ा अब भी अधिक है. इसकी बड़ी वजह यह है कि कोरोना के गंभीर मरीज जो ICU में अब भी भर्ती हैं उनकी मौत हो रही है. दिल्ली में पिछले 10 दिनों में कोविड के मामलों में 75 फीसदी की कमी आई है लेकिन मौतों में केवल 27 फीसदी की कमी आई है. दिल्ली में 10 मई को 12,651 कोरोना के मामले सामने आए और 319 मौतें हुईं. आज 10 दिन बाद 3,231 मामले सामने आए और 233 मौतें हुई हैं.

कोरोना की दूसरी लहर में दिल्ली में प्राइवेट अस्पताल की सबसे बड़ी चेन मैक्स अस्पताल में अप्रैल के पहले सप्ताह से अब तक 30,000 से अधिक कोरोना से संक्रमित रोगी भर्ती हुए. एनडीटीवी से बात करते हुए मैक्स हेल्थकेयर ग्रुप की मेडिकल डायरेक्टर डॉ संदीप बुद्धिराजा ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर पिछली लहर से बहुत विपरीत है. पिछली बार मासिक मृत्यु दर 6 प्रतिशत थी. इस बार यह 7.6 प्रतिशत है, विशेष रूप से 45 वर्ष से कम आयु वर्ग के लोग प्रभावित हुए हैं. अस्पताल में भर्ती होने के प्रतिशत में ज्यादा बदलाव नहीं है, जो कि 28% है. लेकिन उनकी मृत्यु दर इस बार 2 प्रतिशत से बढ़कर 4 प्रतिशत हो गई है. 45 आयु वर्ग में, मृत्यु दर इस बार 7-9 प्रतिशत से बढ़कर 9-11 प्रतिशत हो गई है.

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दिल्ली सरकार द्वारा संचालित दिल्ली के सबसे बड़े कोविड समर्पित अस्पताल, लोक नायक जय प्रकाश अस्पताल के अधिकारियों का कहना है कि देर से अस्पताल में भर्ती होने के कारण मौत के आंकड़े बढ़ रहे है.

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एलएनजेपी अस्पताल में एमरजेंसी प्रमुख डॉ रितु सक्सेना ने कहा "अप्रैल के पहले सप्ताह से 6,500 मरीज अस्पताल में भर्ती हुए और उनमें से 20-25 प्रतिशत की मृत्यु हो गई. उच्च मृत्यु दर इसलिए है क्योंकि दिल्ली में लोग अस्पतालों में बेड न मिलने की समस्या से जूझते रहे और ऑक्सीजन को लेकर भी लोगों में घबराहट थी. कई मरीज ऐसे जिन्होंने लास्ट स्टेज में अस्पतालों का रुख किया और घर पर ही इलाज करते रहे. अस्पताल में देरी से भर्ती होने के कारण अधिक मौतें हुईं."

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मुंबई में पिछले 10 दिनों में कोरोना के मामलों में 25 फीसदी की कमी आई है और मौतों में भी 23 फीसदी की कमी आई है. 10 मई को मुंबई में 1,794 कोरोना के मामले आए और 74 मौतें हुईं. आज 1,425 मामले आए और 59 मौतें हुईं.

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मुंबई में फोर्टिस अस्पताल के क्रिटिकल केयर निदेशक डॉ राहुल पंडित ने कहा. "दूसरी लहर में, हम देख रहे हैं कि पहली लहर की तुलना में बड़ी संख्या में लोगों के ठीक होने में अधिक समय लग रहा है. यह न केवल कॉमरबिडिटीज़ वाले लोग हैं जो आईसीयू में हैं, बल्कि युवा और स्वस्थ लोग भी हैं, जिन्हें तीन सप्ताह से अधिक समय लग रहा है. कई लोग 10-14 दिनों के लिए वेंटिलेटर पर भी जा रहे हैं. इसका मुख्य कारण यह है कि इस बार बीमारी की गंभीरता अधिक है."

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मुंबई के वॉकहार्ट अस्पताल में मेडिसिन विभाग के प्रमुख और अकादमिक निदेशक डॉ बेहराम परदीवाला ने कहा, "हमारी आईसीयू मृत्यु दर लगभग 10-12 प्रतिशत है. इसमें पहली लहर से बहुत अंतर है. कोरोना की इस दूसरी लहर में न केवल युवा लोग बीमार हो रहे हैं बल्कि लोगों में संक्रमण काफी दिनों तक रह रहा है और यह एक से दूसरे में पहले की तुलना में तेजी से फैल रहा है. इस बार अगर एक व्यक्ति कोरोना संक्रमित हो रहा है तो पूरा परिवार संक्रमित हो जा रहा है. पहली लहर में ऐसा देखने को नहीं मिला था."

गंभीर रोगियों को संभालने के मुद्दे से निपटने के लिए, केंद्र और राज्य दोनों सरकारें आईसीयू बेड और मेडिकल ऑक्सीजन उत्पादन की संख्या बढ़ा रही हैं. लेकिन इन उपायों का स्पष्ट प्रभाव देखने में कुछ और दिन या सप्ताह लग सकते हैं.

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