कोरोना वायरस का एरिया शिफ्ट हो रहा है. जहां पहले ज्यादा एक्सपोजर हुआ है, वहां कम मामले पर आ रहे हैं, और जहां कम एक्सपोजर हुआ था, वहां अब मामले बढ़ रहे हैं. उदाहरण के तौर पर, अमरावती में जो 7 पुराने वार्ड हैं, वहां कभी मामले ज्यादा थे, अब उनमें न के बराबर मामले आ रहे हैं. जबकि बाकि के वार्ड्स में जहां एक्सपोजर कम हुआ था, वहां अब मामले आ रहे हैं. मुंबई में भी कुछ ऐसा ही हाल है, जिन वार्ड्स में अभी मामले सामने आ रहे हैं, वहां पहले एक्सपोजर कम हुआ था. ऐसे में अभी एरिया स्पेसिफिक टेस्टिंग पर जोर दिया जा रहा है. यह जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़े सूत्रों ने दी है.
जिन 10 राज्यों में कोरोना के ज्यादा मामले आए हैं और जहां केंद्र की टीम गई है वो रोजाना राज्य सरकार और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट भेज रही हैं. इसके साथ ही वहां पर क्या उपाय किए जाएं, इसको लेकर भी सलाह दे रही हैं. जिन राज्यों में उनके अलग-अलग इलाकों से ज्यादा मामले आ रहे हैं. उन्हीं इलाकों में टेस्टिंग और कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग बढ़ाने पर जोर देने की बात कही गई है.
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कोरोना के मामले बढ़ने के पीछे मुख्य कारण :
- अतिसंवेदनशील आबादी : वो लोग जो वायरस के संपर्क में नहीं आए थे, वे अब उसकी चपेट में आ रहे हैं.
- गैर-आनुपातिक एक्सपोज़र (Dispropotionate Exposure) : उदाहरण के तौर पर अमरावती में पहले 10फीसदी से ज्यादा आबादी वायरस के संपर्क में नहीं आई थी. पहले वो कोरोना के सुझाए प्रोटोकॉल को अपना रहे थे, लेकिन जैसे ही ढीला रवैया अपनाया गया, मामले बढ़ने लगे.
- बाकी राज्यों में ढिलाई, भीड़ जुटना, शादी जहां कहीं भी ज्यादा लोग जुट रहे हैं और अगर वहां कोरोना प्रोटोकॉल का ख्याल नहीं रखा जा रहा है तो वहां मामले बढ़ रहे हैं.
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कोरोना के नए वेरिंएंट्स का असर :-
अब तक कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ने ज्यादा असर नहीं डाला है. लेकिन जिन अलग-अलग राज्यों में ये वेरिएंट गया वहां क्या असर रहेगा ये कहा नहीं जा सकता. अभी फिलहाल ये साबित करना जरूरी है कि कोई ट्रांसमिशन, हाई डिजीज रेट वेरिएंट से हुआ है कि नहीं. अब तक इसको लेकर कोई वैज्ञानिक सूबत नहीं हैं.
यूके वेरिएंट- 18 राज्यों में
दक्षिण अफ्रीका वेरिएंट- 2 राज्यों में
ब्राजिल वेरिएंट- 1 राज्य में.
2-3 राज्यों में कोई इंटरनेशनल ट्रैवलर्स नहीं हैं और न ही कॉन्टैक्ट्स हैं. फिर भी इंटरनेशनल वेरिएंट की मौजूदगी मिली है.
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