'एक देश, एक पार्टी, तो एक वैक्‍सीन कीमत क्‍यों नहीं?' : विपक्ष का केंद्र सरकार पर निशाना

नई पॉलिसी में वैक्सीन उत्पादन कम्पनियों को सप्लाई का 50% राज्यों को देने की छूट दी गई है, यही नहीं, ओपन मार्केट में भी वे पहले से निर्धारित कीमत पर वैक्सीन मुहैया करा सकती हैं.

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नई दिल्ली:

कोरोना टीकाकारण के 1 मई से महंगे होने की संभावना है और कई पार्टियों ने केंद्र सरकार की वैक्‍सीन की बिक्री को 'उदार' बनाने और कीमतों को नियंत्रण मुक्‍त करने की नीति पर सवाल उठाए हैं. पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि सरकार को वैक्‍सीनों की एक कीमत तय करना चाहिए. उन्‍होंने ट्वीट किया, 'बीजेपी हर समय एक देश, एक पार्टी, एक नेता का नारा लगाती है लेकिन लोगों की जिंदगी बचाने के लिए उनके पास वैक्‍सीन की एक कीमत नहीं है. हर भारतीय को उम्र, जाति, पंथ, स्‍थान से परे फ्री वैक्‍सीन की जरूरत है. कोविड वैक्‍सीन की एक कीमत तय करने का लक्ष्‍य होना चाहिए फिर चाहे इसका भुगतान केंद्र करे या राज्‍य.'

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गौरतलब है कि नई पॉलिसी में वैक्सीन उत्पादन कम्पनियों को सप्लाई का 50% राज्यों को देने की छूट दी गई है, यही नहीं, ओपन मार्केट में भी पहले से निर्धारित कीमत पर वैक्सीन मुहैया करा सकती हैं. राज्य सरकारों को अधिकार दिया गया है कि वो अतिरिक्त वैक्सीन की डोज मैन्युफैक्चरर्स से ले सकेंगी. बुधवार को सीरम इंस्‍टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने कहा था कि कोविशील्‍ड टीके के हर डोज के लिए राज्‍यों को 400 रुपये और निजी अस्‍पतालों को 600 रुपये देने होंगे जबकि केंद्र सरकार को वैक्‍सीन रियायती रेट पर मिलता रहेगा. केंद्र सरकार को कोविशील्‍ड 150 रुपये डोज और भारत बायोटेक का कोवैक्‍सीन 206 रुपये डोज के हिसाब से मिल रहा है. अभी तक केंद्र सरकार राज्‍यों को 'फ्री ऑफ कास्‍ट' वैक्‍सीन की सप्‍लाई कर रही थी.

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भारत में अगले कुछ माह में रूस का वैक्‍सीन Sputnik V भी उपलब्‍ध हो जाएगा. Sputnik V के निर्माता डॉ. रेड्डी ने कहा है कि एक टीके की कीमत $10 (करीब 750 रुपये) हो सकता है हालांकि इस बारे में बातचीत अभी जारी है. कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी ने भी पीएम को लिखे लेटर में इस निर्णय को सख्‍त बताया है. सोनिया ने कहा, 'इसके मायने यह है कि राज्‍यों को टीककारण के लिए अब यह अधिक कीमत चुकानी होगी, इससे राज्‍य सरकारों की आर्थिक व्‍यवस्‍था और खराब हो जाएगी.' उन्‍होंने सवाल किया कि एक ही वैक्‍सीन निर्माता कंपीन की आखिर तीन अलग-अलग कीमत कैसे हो सकती हैं.

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