जेलों पर मंडरा रहा कोरोना संकट, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- 'स्थिति बहुत बुरी है'

देश में लगातार कोरोना के बढ़ते मामलों के चलते हर तरफ अव्यवस्था फैली हुई है. ऐसे में देश की ज्यादातर जेलों में भी संक्रमण का संकट मंडराने लगा है. कोरोना के बढ़ते संक्रमण का प्रकोप जेलों पर भी पड़ रहा है.

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नई दिल्ली:

नई दिल्ली: देश में लगातार कोरोना (Covid-19 Pandemic) के बढ़ते मामलों के चलते हर तरफ अव्यवस्था फैली हुई है. ऐसे में देश की ज्यादातर जेलों में भी संक्रमण का संकट मंडराने लगा है. कोरोना के बढ़ते संक्रमण का प्रकोप जेलों पर भी पड़ रहा है. जेलों में क्षमता से अधिक बंदियों की संख्या से समस्या बढ़ सकती है. जेलों के हालात पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने स्वतः संज्ञान लिया है।  सीजेआई एनवी रमना (CJI NV Ramana) ने कहा कि मौजूदा हालात बहुत खतरनाक है. पिछली बार से भी ज्यादा खतरनाक है. पिछली बार दाखिल हुई याचिकाओं पर फिर से विचार करने की जरूरत है. SG तुषार मेहता ने कहा कि SC ने 23 मार्च को हाई पॉवर समिति का गठन करने का निर्देश दिया था.

जस्टिस राव ने कहा कि हम इस आदेश से अवगत हैं. हम जिस हाई पॉवर समिति का जिक्र कर रहे हैं, उस पर गौर कर सकते हैं और आदेश पारित कर सकते हैं. जस्टिस राव ने कहा कि जेलों में भीड़-भाड़ की स्थिति बहुत बुरी है. 90% कैदियों को रिलीज किया गया था, वे वापस आ गए हैं. ज्यादातर जेल ओवर क्राउडेड हैं. 

वरिष्ठ वकील  कॉलिन गोंजाल्विस ने सुझाव देते हुए कहा कि जिन कैदियों को जमानत पर रिहा किया गया था और वे वापस जेल आएं, उनको वापस नियमित जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम प्रत्येक राज्य के मुद्दे की जांच नहीं कर सकते. सामान्य आदेश पास नहीं कर सकते हैं, इसलिए हमने न्यायिक अधिकारियों आदि को शामिल किया है. वे  सभी तथ्यों और परिस्थितियों और हलफनामों पर विचार करेंगे. साथ ही एक आदेश अपलोड करेंगे.

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दो दिन पहले बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने कोविड-19 महामारी  के प्रसार के मद्देनजर एक याचिका पर सुनवाई की थी. याचिका में राष्ट्रीय राजधानी की तीन जेलों में बंद गैर-जघन्य अपराधों में शामिल कैदियों की जमानत व पैरोल पर चर्चा हुई थी. याचिका पर सुनवाई करते हुए बुधवार को केंद्र, दिल्ली सरकार से इस संबंध में जवाब मांगा गया है. दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने विधि एवं स्वास्थ्य मंत्रालयों, दिल्ली सरकार, पुलिस, उपराज्यपाल कार्यालय और कारागार महानिदेशक को नोटिस जारी कर याचिका पर अपना रुख बताने को कहा है. तीन वकीलों और विधि के एक छात्र ने चार मई को यह याचिका दायर की थी.

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