केंद्र के प्रयासों से देश के सहकारी क्षेत्र को गति मिली है : गृह मंत्री अमित शाह

अमित शाह ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में केंद्र ने देश में सहकारी आंदोलन को गति देने का काम किया है. हमने भारत के सहकारी क्षेत्र के मॉडल को बाजार के लायक बनाया है. हम सहकारी विश्वविद्यालय विधेयक लाकर सहकारी शिक्षा को सशक्त बना रहे हैं.

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद की 27वीं बैठक की भी अध्यक्षता की.
पुणे :

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने शनिवार को कहा कि केंद्र के प्रयासों से देश के सहकारी क्षेत्र को गति मिली है और 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में इसके महत्व को रेखांकित किया. पुणे में जनता सहकारी बैंक लिमिटेड के हीरक जयंती समारोह के समापन समारोह को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने भारत के सहकारी क्षेत्र को बाजार योग्य बनाया है. इसके अलावा, केंद्रीय गृह मंत्री ने पुणे में पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद की 27वीं बैठक की अध्यक्षता की.

केंद्रीय मंत्री ने सहकारी बैंकिंग क्षेत्र से प्रौद्योगिकी अपनाने का आग्रह किया. शाह ने कहा, ‘‘पिछले तीन वर्षों में केंद्र ने देश में सहकारी आंदोलन को गति देने का काम किया है. हमने भारत के सहकारी क्षेत्र के मॉडल को बाजार के लायक बनाया है. हम सहकारी विश्वविद्यालय विधेयक लाकर सहकारी शिक्षा को सशक्त बना रहे हैं.''

पीएम मोदी ने देश के सामने रखे दो संकल्‍प: शाह

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने देश के समक्ष दो संकल्प रखे हैं - 2047 तक भारत को पूर्ण विकसित राष्ट्र बनाना और 2027 तक देश को 5 हजार अरब अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना.

उन्होंने कहा कि सहकारी क्षेत्र के विकास के बिना ये संकल्प अधूरे रहेंगे. शाह ने इस बात पर भी जोर दिया कि अगर हर व्यक्ति का विकास और हर घर में समृद्धि नहीं होगी, तो ये दोनों संकल्प साकार नहीं हो पाएंगे.

'हर परिवार को समृद्ध बनाना सहकारिता आंदोलन से संभव'

शाह ने कहा कि हर व्यक्ति को उसकी योग्यता के अनुसार काम उपलब्ध कराना और देश के विकास से जोड़कर हर परिवार को समृद्ध बनाना सहकारिता आंदोलन से ही संभव है.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जनता सहकारी बैंक इस सोच का एक प्रमुख उदाहरण है क्योंकि इसने ‘‘छोटे लोगों के लिए बड़े बैंक'' की अवधारणा को अपनाया है.

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उन्होंने कहा कि पहली बार देश में सहकारी बैंकों के लिए ‘क्लियरिंग हाउस' की परिकल्पना की गई है, जिसे अगले दो वर्षों में पूरा किया जाएगा.

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