जल संकट के बीच 1100 पेड़ काटने पर विवाद, दिल्ली के एलजी पर 'आप' का आरोप

सौरभ भारद्वाज ने बताया कि यहां पर किसी कंस्ट्रक्शन को लेकर पेड़ काटने की मौखिक स्वीकृति दी गई थी, जिसके बाद सभी डिपार्टमेंट शांत हो गए और पेड़ों को काट दिया गया. यह चोरी है, लूट है और डकैती है.

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नई दिल्ली:

दिल्ली में जल संकट के बाद अब रिज एरिया में पेड़ काटने का विवाद बढ़ रहा है. आम आदमी पार्टी इसे लेकर दिल्ली के एलजी पर हमलावर हो गई है. एलजी विनय कुमार सक्सेना पर आप नेता सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाया कि उन्होंने दिल्ली में गैरकानूनी ढंग से 1100 पेड़ कटवा डाले हैं.

उन्होंने बताया है कि डीडीए जब सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और उसने पेड़ काटने की परमिशन की याचिका लगाई तो सुप्रीम कोर्ट ने उसे रिजेक्ट कर दिया. सुप्रीम कोर्ट के अंदर सोमवार को केंद्र सरकार के वकीलों ने दोबारा झूठ बोला. एक झूठ के केस में कंटेंप्ट की जो पिटीशन चल रही है, उस पर दोबारा फिर से झूठ बोला गया. कोर्ट में कहा गया कि पेड़ों को काटने के लिए परमिशन लेनी होती है, ये जानकारी नहीं थी. दूसरा झूठ बोला गया कि एलजी साहब ने 3 फरवरी को किसी और जगह विजिट की थी. जबकि, डीडीए के एक अधिकारी ने मेल लिखकर अपने चीफ इंजीनियर और सभी अधिकारियों को सूचित किया था कि फॉरेस्ट विभाग के लोगों ने पेड़ काटने में असहमति जताई है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राष्ट्रीय राजधानी में पेड़ों की कटाई के बेशर्म कृत्यों को हल्के में नहीं लिया जा सकता है और रिज क्षेत्र में पेड़ों की कटाई के बारे में डीडीए से "स्पष्ट" बयान मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर भी आश्चर्य व्यक्त किया कि अधिकारी घटनास्थल पर काटे गए पेड़ों की लकड़ी का पता नहीं लगा सके.

सौरभ भारद्वाज ने बताया कि यहां पर किसी कंस्ट्रक्शन को लेकर पेड़ काटने की मौखिक स्वीकृति दी गई थी, जिसके बाद सभी डिपार्टमेंट शांत हो गए और पेड़ों को काट दिया गया. यह चोरी है, लूट है और डकैती है. दिल्ली के रिज एरिया में कोई भी पेड़ बिना सुप्रीम कोर्ट की परमिशन के नहीं काटे जा सकते. साउथ दिल्ली में अगर आरडब्ल्यूए किसी पेड़ को छांटता भी है तो फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की तरफ से उस पर केस दर्ज हो जाता है और जुर्माना लगाया जाता है. यहां 1100 पेड़ कट गए और फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की तरफ से किसी ने कुछ नहीं कहा.

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का साफ तौर पर यह कहना है कि रिज एरिया का एक पूरा पेड़ आप नहीं काट सकते. न ही उसके बदले में आप 10 पेड़ लगा सकते हैं. ओसोला वाइल्डलाइफ का यह प्रोटेक्टेड रिज एरिया है. दूसरे झूठ का खुलासा भी एक मेल के जरिए हो गया है. केंद्र सरकार के वकीलों ने कोर्ट में कहा था कि एलजी साहब कहीं और गए थे और एक अधिकारी ने अपने मेल में दिल्ली के डायरेक्टर को लिखा है कि एक रोड के निर्माण के लिए जगह की जरूरत है और सभी ने विजिट भी किया था. यह मेल 7 फरवरी को लिखा गया था. इस मेल से वकीलों का झूठ पकड़ा गया. मेल के अंदर साफ-साफ लिखा हुआ है कि 3 फरवरी को एलजी साहब का विजिट हुआ है और उन्होंने तेज काम करने के निर्देश दिए हैं, जिसमें पेड़ काटने, तेजी से काम करने समेत सभी निर्देश शामिल हैं.

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